लक्षण (हरिगीतिका) : -
अनुभवित बस्तु बिलोकि ओइन अन्य कछु जब मन परे।
तब कथन ओकर परिधि में स्मरण का निज घर करे॥
या
अनुभवित बस्तु समान दूसर अन्य कुछ यदि मन परे।
तब ओ कथन के नाम स्मरणालंकार कबि निश्चित करे॥
उदाहरण (दोहा) :-
निलकंटा के देखि के बचपन मन परि जाय।
मूर्ख मुदर्रिस मारते ओकर छड़ी बनाय॥
हरिगीतिका :-
देखि के नेता बिलासी ऊ समइया मन परे।
नेता बड़कवा नियम सेनित सूत जब कातल करें॥
भीखि मुठिया से मिले जे अन्न ऊ भोजन करें।
देश खातिर यातना सानन्द सहि सहि के मरें॥
लखि सुमन नौ बजिया युवकपन के स्मरण आ जात बा।
थोरे समय तक फूलि के जे जल्दिए मुरझात बा॥
कवित्त :-
बागी छात्र झुण्ड लखि सुधि आवे टिड्डी दल
देखि के जियान सुधि बानर बराह के।
गुरू के बिद्रोह तोड़फोड़ निज कालिज में
देखि सुधि आवे गज झुण्ड सनकाह के।
पास केहु जात नाहीं आवे सुधि बार बार
खूनी साड़ भइंसा दल कुक्कुर कटाह के।
क्रूरता बिलोकि सुधि तुगलक मुहम्मद के
लूट देखि दिल्ली के लूट नादिरशाह के॥