हरियाली मत हरो
गंध की कविता रुक जाएगी
फूलों के सुरभित
आँचल की ममता चुक जाएगी ।
नीम तले की कथा कहानी
बाबा को कहने दो,
अमरार्इ झूले की कजरी
बहना को गाने दो ।
हरसिंगार का प्यार न छीनो,
बगिया लुट जाएगी ।
भैया से वृक्षों की बाँहें,
किसने काट दिए हैं ?
बस्ती में पत्थर के जंगल
किसने उगा दिए हैं ?
ममता की टहनी मत छाँटो,
छाया मिट जाएगी ।
द्वारे से तुलसीचौरा तक
रेगिस्तान न आने पाए,
भाभी के जूड़े का गजरा
कभी नहीं मुरझाने पाए ।
पंचवटी की छाँव न छीनो,
सीता पछतायँगी ।