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ख़ुमार बाराबंकवी
अकेले हैं वो और झुंझला रहे
हैं ग़मे-दुनिया बहुत ईज़ारसाँ है ग़मे-दुनिया बहुत ईज़ारसाँ
है |
हिज्र की शब
है और उजाला है
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