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शैलेन्द्र
(30.08.1932-14.12.1976) तू ज़िन्दा है तो ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर तू ज़िन्दा है तो
ज़िन्दगी की जीत में यकीन कर,
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क्रान्ति के लिए जली मशाल भूख के विरुद्ध
भात के लिए
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