प्रकाशन |
कविता संग्रह : मौन पर शब्द (1987), शब्द के बारीक
तारों से (2009), जैसे होना एक ख़तरनाक संकेत (शीघ्र प्रकाश्य) उपन्यास :
जहाँ बाँस फूलते हैं (मीज़ो जाति की पृष्ठभूमि पर), रूपतिल्ली की कथा
(खासी जनजाति की पृष्ठभूमि पर)। शीघ्र प्रकाश्य: जो भुला दिए गये
(पृष्ठभूमि- चौरी-चौरा कांड), सर्पमणि की चूर्ण चमक (पृष्ठभूमि- 1857 की
क्रांति) आलोचना : यह जो आ रहा है हरा, यूरोप के आधुनिक कवि, युग की
नब्ज़ अनुवाद : आँखों का आलोक (शुभ्रा मुखर्जी की मूल बांग्ला कृति से) |