जन्म |
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3 दिसंबर 1903, फ़ीरोज़पुर छावनी, पंजाब |
भाषा |
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हिंदी |
विधाएँ |
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उपन्यास, कहानी, निबंध,
व्यंग्य, संस्मरण, वैचारिक साहित्य |
प्रमुख कृतियाँ |
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उपन्यास : दिव्या, देशद्रोही, झूठा सच, दादा कामरेड, अमिता, मनुष्य
के रूप, मेरी तेरी उसकी बात
कहानी संग्रह : पिंजरे की उड़ान, फूलो का कुर्ता, धर्मयुद्ध, सच
बोलने की भूल, ज्ञानदान, भस्मावृत्त चिनगारी, तुमने क्यों कहा था मैं सुंदर
हूँ, उत्तमी की माँ
व्यंग्य-संग्रह : चक्कर क्लब
संस्मरण : सिंहावलोकन
वैचारिक साहित्य : गांधीवाद की शवपरीक्षा
संपादन : विप्लव
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सम्मान |
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पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार। |
निधन |
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26 दिसंबर 1976 |
विशेष |
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यशपाल हिंदी के शीर्ष कथाकारों में से एक हैं। वे एक राजनीतिक
व्यक्तित्व भी रहे हैं। अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत उन्होंने
कांग्रेस से की, पर मैट्रिक के बाद लाहौर आने पर यशपाल नेशनल कॉलेज में
भगत सिंह, सुखदेव और भगवतीचरण बोहरा के संपर्क में आए और नौजवान भारत
सभा से जुड़ गए। अंग्रेजी शासन काल में वे जेल में भी रहे। जेल से छूटने
पर उन्होंने ‘विप्लव’ का प्रकाशन और संपादन शुरू किया। मार्क्सवाद के
प्रति गहरे तौर पर प्रतिबद्ध यशपाल ने अपनी रचनाओं में अपने विचारों को
सोद्देश्य रूप से पिरो कर पेश किया। उनकी अनेक रचनाओं का दुनिया की
अनेक भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। उनके उपन्यास ‘झूठा सच’ को कालजयी
उपन्यास का दर्जा हासिल है ।
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