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कविता

आवाज

स्नेहमयी चौधरी


घर में कोई आवाज हो
कविता पंख फैलाकर पक्षी की तरह
खुले आकाश में मँडराने लगती है ।


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हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ