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कविता

खोल

स्नेहमयी चौधरी


उसे लगा, वह एक खोल में छुपी बैठी है
जहाँ से वह सर निकालती है
बाहर खुली हवा में साँस लेकर -
अंदर फिर छुप जाती है ।


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हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ