उसे लगा, वह एक खोल में छुपी बैठी है जहाँ से वह सर निकालती है बाहर खुली हवा में साँस लेकर - अंदर फिर छुप जाती है ।
हिंदी समय में स्नेहमयी चौधरी की रचनाएँ