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नैनो यंत्रमानव आ रहे हैं

डॉ. भारत खुशालानी


नैनो यंत्रमानव ऐसे छोटे यंत्र होते हैं जो एक मीटर के एक अरबवें हिस्से की माप के होते हैं। ये विद्युत रूप से संचालित यांत्रिक उपकरण होते हैं जो जीवाणुओं और विषाणुओं पर प्रभाव डालने की क्षमता रखते हैं। इन सूक्ष्म यंत्रों का नियंत्रण खुद इनमे लगे अतिसूक्ष्म वैद्युतिक चिप के द्वारा, या बाहर से किया जा सकता है। मानवीय शरीर में इन नैनो-यंत्र मानवों को दवा की सुई के माध्यम से दिया जाएगा। शरीर के अंदर पहुँचकर इनका काम शरीर के संक्रमित हिस्सों को स्वच्छ करना होगा। साथ ही ये उन कोशिकाओं और तंतुओं को भी शरीर से निकालने में सक्षम होंगे जो बेकार हो चुके हैं।

विकासात्मक जीवविज्ञान और डंडी कोशिकाओं में हो रहे अनुसंधान को प्रस्तुत करने वाली पत्रिका 'डेवलपमेंट' के जनवरी 2018 के अंक में कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के आणविक उपकरणों की रचना में सक्रीय प्रोफेसर नाइल्स पियर्स और उनके साथियों ने केंद्रिक अम्ल से बने नैनो-यंत्र मानवों के एक पहलू पर प्रकाश डाला है। इस अनुसंधान में उन्होंने यह बताया है कि परस्पर प्रभाव डालने वाले और अपना अनुरूप बदलकर आणविक तर्क निष्पादित करने वाले सूक्ष्म राइबोन्यूक्लिक अम्लों की किस प्रकार अभियंता की जा सकती है जिससे उनको इच्छानुकूल अवस्थापित किया जा सके।

नैनो-यंत्र मानवों का निर्माण करने के लिए एक और दृष्टिकोण अपनाया जाता है जैविक सूक्ष्मजीवकों का उपयोग करके। ये जीवाणु संचालन के लिए अपने पतले चाबुकीय उपांग का इस्तेमाल करते हैं। ऐसे जैविक एकीकृत नैनो-यंत्र की गति को नियंत्रित करने के लिए विद्युत चुंबकीय क्षेत्र का प्रयोग किया जाता है।

नैनो-यंत्रों में अंतःस्थापित रासायनिक जैव-संवेदकों का उपयोग रोगी के शरीर के अंदर कैंसर के विकास के प्रारंभिक चरणों में ट्यूमर कोशिकाओं का पता लगाने के लिए किया जाता है। कीमोथेरेपी द्वारा की गई रसायन चिकित्सा के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए नैनो-यंत्र कुशल दवा वितरण की पद्धति अपनाते हैं जिससे उपचार में सफलता प्राप्त हो सके।

प्रतिरक्षा प्रणाली में मदद करने के लिए जब डॉक्टर एक रोगी को वस्ति के माध्यम से शक्तिशाली प्रतिजीव प्रदान करता है तो रोगी के खून के माध्यम से यात्रा करते समय यह प्रतिजैविक पदार्थ पतला हो जाता है। नतीजतन, प्रतिजीव का कुछ ही अंश संक्रमण के स्थान पर पहुँचता है। इसकी अपेक्षा, नैनो-यंत्र सीधे संक्रमण के स्थान तक पहुँचकर दवा की एक छोटी मात्रा प्रदान करते हैं। इससे रोगी को भी दवा के दुष्परिणामों को कम ही भुगतना पड़ता है।


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