"विज्ञान में श्वेत वामन और श्याम वामन तारों की क्या महिमा है ?"
"सूर्य-जैसे तारे अपने जीवन के अंतिम चरण में पहले फूलकर लाल दानव बनते हैं।
फिर वे बाह्य नीहारिकीय सतहों को किसी पोशाक की तरह उतार कर नग्न हो जाते हैं।
अब इनका अंतस एक छोटे सफेद घना पिंड-भर रह जाता है और जगमगाता है। यही श्वेत
वामन हैं। सूर्य-जैसे तारों के जीवन का ज्ञात और दृश्य अंत।"
"ज्ञात और दृश्य अंत ? इन दोनों अंतों में भी अंतर है भला ?"
"हाँ, अंतर है। ज्ञात अंत गणितीय है, दृश्य अंत वैज्ञानिक।"
"तो क्या यह श्वेत वामन की अवस्था अनंत काल तक रहेगी ? क्या सूर्य श्वेत वामन
बन कर हमेशा जगमगाता रहेगा ? क्या श्वेत वामन की भट्ठी कभी नहीं बुझेगी ?"
"बुझेगी। लेकिन हमें अब तक बुझती कहीं दिखी नहीं। श्वेत वामन ठंडे होकर और
बुझकर श्याम वामन बनकर अंतरिक्ष के अँधेरे में गुम हो जाएँगे।"
"तो श्याम वामन का कोई उदाहरण ? कहीं तो मिला होगा ?"
"श्याम वामन बनने का समय ब्रह्मांड की कुल उम्र से भी अधिक पाया गया है। सो
कदाचित ब्रह्मांड का कोई तारा अब तक श्याम वामन बना ही न हो।"
"यह तो अद्भुत बात है ! ब्रह्मांड में भी बहुत कुछ ऐसा है, जिसके होने की
उम्मीद है, लेकिन हुआ नहीं अब तक !"
"यह ऐसे ही है कि किसी के पुत्र जन्मे और वह बाबा बनने का स्वप्न देख बैठे। कि
पुत्र का भविष्य में विवाह होगा और फिर उसके पुत्र होगा और वह बाबा बनेगा। बस
यहाँ भविष्यगत कल्पनाएँ जोर मारती हैं और खगोल में..."
"खगोल में क्या ?"
"खगोल में भविष्यगत गणित। गणित में भविष्यवाणी की योग्यता है। विज्ञानियों का
सबसे बड़ा ज्योतिषी गणितज्ञ है, गणितज्ञ ही है।"