"धूमकेतु हमारे लिए महत्वपूर्ण क्यों हैं ?"
"क्योंकि धूमकेतु संभवतः सौरमंडल की सबसे पुरानी संरचनाएँ हैं। जिस
सौर-नीहारिका से हमारा सूर्य और आठों ग्रह बने हैं, उससे शायद बहुत पहले
धूमकेतुओं का निर्माण हो चुका था।"
"और ?"
"और फिर जीवन का निर्माण और अंत भी हम उनके सापेक्ष समझना चाहते हैं। शायद कई
रासायनिक पदार्थ और तत्व पृथ्वी पर धूमकेतुओं के प्रहार के साथ पहुँचे। शायद
कई बार जीवन का खात्मा भी धूमकेतुओं की टक्कर ने किया हो।"
"ग्रहों के निर्माण में धूमकेतुओं की भूमिका है ?"
"संभवतः। धूल, बर्फ व गैस के ये पिंड सौरमंडल के बाहरी इलाकों में बहुतायत में
हैं। वहीं से ये भीतर की ओर आते हैं। कई बार इनकी ग्रहों से टक्कर भी होती है।
कई बार ये सूर्य में समा जाते हैं। कई बार परिक्रमा करके लौट जाते हैं और यह
क्रम निश्चित अवधि में चलता रहता है। ऐसा माना जाता है कि सौरमंडल के निर्माण
के आरंभ में धूमकेतुओं से ग्रहों की टक्कर आम बात थी, जो समय बीतने के साथ घटी
है।"
"लेकिन धूमकेतुओं के साथ मनुष्य ने इतने अपशकुन और भयकारक बातें क्यों जोड़ लीं
?"
"आकाश में जो चलता दिखेगा, वह देवता हो जाएगा या फिर दानव। आसमान में गति हमने
बहुत नहीं दिखती, हम उसकी शाश्वत स्थिति के अभ्यस्त हैं। आसमान हमें रोज एक-सा
दिखता रहा है, हम सोचते हैं कि वैसा ही दिखता रहे। हमेशा। इसलिए तनिक गति हुई
नहीं कि हम घबराए। कि कौन आया। कौन है। शत्रु है। शत्रु ही है।"
"सूर्य-चंद्रमा भी तो चलते दिखते हैं लेकिन।"
"हमारे आसमान में चलते हुए आसानी से दिखने वाले पिंड दो हैं : सूर्य और
चंद्रमा। इनके साथ अच्छी बात यह है कि ये हमें रोज दिखते हैं। हम इनसे परिचित
हैं। हम इन्हें जानते हैं। इसलिए ये हमारे देव हुए। लेकिन उल्काएँ और धूमकेतु
आसमान में अचानक प्रवेश करते हैं और फिर ग़ायब हो जाते हैं। आपके घर में कोई
अकस्मात् आएगा, तो आप उसे मित्र समझेंगे कि शत्रु ?"
"अकस्मात् आने वाले को तो अतिथि कहते हैं।"
"अतिथि शब्द में सम्मानबोध तभी आता है, जब वह आतिथेय के सामने अपना ध्येय
प्रकट कर देता है। कि वह किस लिए आया है। अन्यथा अचानक प्रकट हुआ व्यक्ति चोर
या डकैत की आशंका को बलवती करता है। रात के आसमान में आपको कोई टूटता या एक ओर
से दूसरी ओर जाता पिंड दिखेगा, तो वह आपको घुसपैठिया ही नजर आएगा, मित्र
नहीं।"
"मनुष्य का क्या यह भ्रम नहीं कि पृथ्वी के ऊपर दिखता आसमान उसका है ?"
"मनुष्य को तो ढेर सारे भ्रम हैं। उसे लगता है कि हर आसमानी पिंड उसके लिए
निर्मित है : क्या तारा, क्या ग्रह और क्या धूमकेतु।"
"विचित्र बात है। जिसे हम अराजक घुसपैठिया समझते रहे, वह हमारे मोहल्ले का
सबसे पुराना आदमी है।"