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बात-चीत

अर्थशास्त्री सुब्रमण्यम स्वामी से बातचीत

अमित कुमार विश्वास


प्रस्तुत है बातचीत के प्रमुख अंश -

प्रश्न. आज भारत के विकास के संदर्भ में चर्चाएं हो रही हैं, आप एक अर्थशास्त्री हैं तो आपकी नजर में भारत का विकास किस प्रकार से किया जाना चाहिए?

उत्तर. हमारे देश के आर्थिक सिद्धांत को 'इनोवेशन' के जरिए चलाना होगा। नए तरीके से विकास को फलीभूत करने की प्रक्रिया को इनोवेशन कहते हैं। आप बैलगाड़ी टेक्नॉलॉजी में कितनी ही पूँजी डालिए, उससे प्रोडक्टिविटी बढ़ेगी नहीं। आज इंटरनेट आने से लागत का ढाँचा बदल गया है। अब तो अपने ही देश में एक फैक्ट्री रखने की जरूरत नहीं है। उसे कोने-कोने में पाँच-छह हिस्सों में लगाकर कम्प्यूटर (इंटरनेट) से निगरानी कर सकते हैं। ये जो नया यंत्र व तकनीक आया है, उसे इनोवेशन की संज्ञा में शामिल किया गया है जो पहले कैपीटल लेबर की उत्पादकता को गुणात्मक ढंग से बढ़ोत्तरी करता है। इनोवेशन के लिए युवापीढ़ी को तैयार करनी चाहिए। हमारे देश में 40 वर्ष से कम युवकों की संख्या 75 फीसदी है, जो कि दूसरे देशों में नहीं है। इसको हमें सही शिक्षा देनी चाहिए। हिंदुस्तान का विकास करना है तो शिक्षा प्रणाली में अभूतपूर्व बदलाव लानी चाहिए। ये आवश्यक नहीं है कि स्कूल भवन बनें, सब जगह शिक्षक हों। आप उसे इंटरनेट से जोड़ दीजिए, इसके लिए एक बैट्री व कम्प्यूटर चाहिए, लोग इसे पेड़ के नीचे भी सीख सकते हैं।

प्रश्न. विकास के लिए क्या बिजली को निजीकरण कर दिया जाना उचित है?

उत्तर. आजकल हमलोग बेफजूल खर्च के आदी होते जा रहे हैं। भ्रष्टाचार के कारण सड़क, भवन आदि नहीं बन पाती है। हमें सड़क बनानी है, पावर प्लांट लगानी चाहिए। बिजली वितरण सरकार के नियंत्रण में है उसे इलेक्ट्रिक सिटी बोर्ड से मुक्त कराकर प्राइवेट में नीलाम कर देना चाहिए। इससे पावर कमी का दसवाँ हिस्सा भी नहीं रहेगा। हमें ढ़ाँचागत विकास करते हुए छोटे-छोटे जिलों में भी एयरपोर्ट बनानी चाहिए।

प्रश्न. भारत के विकास हेतु भारतीय अर्थव्यवस्था में किसानों का योगदान अभिन्न है तो किसानों का विकास किस प्रकार से किया चाहिए?

उत्तर. देखिए, भारत की आत्मा कृषि में बसती है, कृषि का अंतरराष्ट्रीय करने की जरूरत है। हमारे देश में कृषि उत्पादन लागत दुनिया में न्यूनतम है। हमारे देश की विशेषता है कि कृषक 12 महीने कृषि कार्य कर सकते हैं, दुर्भाग्य से हमारी भूमि का 25 प्रतिशत हिस्सा ही तीन फसलों वाला है। हमें बचे 75 प्रतिशत भूमि को तीन फसलों वाला बनानी चाहिए, फसल की निर्यात करनी चाहिए। इसके लिए डब्ल्यू.टी.ओ. से लड़ना पड़ेगा, अमेरिका से समझौता करना पड़ेगा। दूध यूरोप में 15 गुणा अधिक कीमत में बिकता है। विदेशों में चावल 7 गुणा अधिक दामों में बिकती है। चीनी भी कई गुणा ज्यादा दामों में बिकती है, फल-फूल का भी हम निर्यात कर सकते हैं। किसानों की आर्थिक स्थिति को ठीक करने के लिए उसे भी तकनीक से जोड़ने की जरूरत है, उन्हें कंप्यूटर व इंटरनेट सिखा दो तो वे इंटरनेट के जरिए खरीददार को ढूँढ़ लेगा। उसके लिए कोल्ड स्टोरेज, लोकल एयरपोर्ट चाहिए, माइक्रो प्रोसेसिंग इंडस्ट्री बनानी चाहिए ताकि गुणवत्ता बनाए रख सके, चाइना जैसा मिलावटी न करें।

प्रश्न क्या आप मानते हैं कि आज देश को जे.पी. जैसे क्रांतिकारी नेता की जरूरत है?

उत्तर. जे.पी. तो प्रेरणास्त्रोत हैं। लोगों का उनपर विश्वास था कि वे एक त्यागी पुरूष हैं। लोग उनके पीछे खड़े होने को तैयार रहते हैं लेकिन उनके पास मुद्दा तो एक ही था। आपातकाल के दौरान जो कुकर्म हुए, उससे छुटकारा पाने के लिए आम सहमति बनी कि इसे ले आइए। जे.पी. ने संपूर्ण क्रांति की बात कही, वो तो किसी के समझ में ही नहीं आया। जे.पी. जैसे त्यागी नेतृत्वकारी नेता की आज देश को जरूरत है।

प्रश्न. आज प्रायः गठबंधन सरकार बनने की परंपरा चल रही है। ऐसे में जनता पार्टी किस प्रकार से अपना अस्तित्व बचाए रख पाएगी?

उत्तर. गठबंधन में अब तो जनता पार्टी के लिए जगह बन गई है। इसमें तो यह ठीक है कि जीतेंगे तो मंत्री बन जायेंगे। मैं दो बार मंत्री बना। एक बार एम.पी. जीतकर मंत्री बना। यह तो सच है कि गठबंधन की सरकार बनते रहेगी। छोटे पार्टियों के लिए जगह बनती रहेगी। जो प्रभावशाली व्यक्ति हैं उनके लिए स्थान मिलता रहेगा। मेरे लिए एक सुविधाजनक बात रही कि ज्यादे पैमाने पर मुझे चंदा इकठ्ठा करने की जरूरत नहीं है। मुझे ज्यादा कमीशनबाजी के चक्कर में नहीं पड़ना पड़ेगा। मैं दूसरे लोगों को अकेला नहीं दिखा सकता। इसीलिए हमने तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, कर्नाटक, बंबई आदि में कार्पोरेट में पार्टी को रखा है। हमारा विश्वास है कि लोग सिद्धांत पर वोट डालेंगे, वे जाति, धर्म पर वोट नहीं करेंगे। अवश्य ही हमारी भी बारी आएगी।

प्रश्न. राजनीति के अपराधीकरण के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?

उत्तर. ये तो सच है कि नेताओं का नैतिक पतन हो ही गया है, इसके लिए जनता भी जिम्मेदार हैं। आप क्रिमिनल को वोट देकर प्रतिनिधित्व करने के लिए क्यों चुनते हैं? सामान्यतः देखा जाता है कि लोग राजनीति को कैरियर के रूप में अपनाने से कतराते हैं क्योंकि आज की संस्कृति आधुनिक है। अँग्रेजों ने फैशन बना दी थी कि हर चीज में चले जाओ पर राजनीति में मत जाओ, इसका समर्थन जवाहरलाल नेहरू ने किया था जबकि इसे महात्मा गांधी ने तोड़ा था। जब मैं अमेरिका से आया तो विवादास्पद हो गया, क्योंकि हम कम्यूनिज्म और समाजवाद का विरोध कर रहे थे। मुझे विश्वविद्यालयों में बुलाने से लोग डरते थे कि कहीं प्रमोशन न रूक जाय। राजनीति से दूर रहना कैरियर के लिए अच्छा है, यह हवा बन गई कि राजनीति में पूरी समय रहोगे, तो पैसा कहाँ से आएगा। आपको कोई लड़की देने को तैयार नहीं होगा इसलिए लोग ये सोचने लगे कि राजनेता अलग हैं और हम अलग। ये तो लोकतंत्र में नहीं चलता है। ओबामा हावर्ड का विद्यार्थी है, बुश भी बिजनेस स्कूल हावर्ड का हैं। वहाँ पढ़े-लिखे लोग राजनीति में हैं। अपने देश में युवाओं को इस व्यवसाय में आना अच्छा है। हमारे यहाँ राजनीति को कैरियर के रूप में न अपनाना हमारे संस्कृति की खराबी है।

प्रश्न. राजनीति में जातीय समीकरण का बोलबाला बढ़ रहा है, क्या यह लोकतंत्र के लिए घातक है?

उत्तर. राजनीति में जातिवाद का प्रकोप बढ़ रहा है, कितनी शर्मनाक बात है कि एक लोकतांत्रिक देश में लोग काम के आधार पर नहीं अपितु जाति, धर्म के नाम पर वोट देते हैं। मैं यादव हूँ, कुर्मी हूँ के नाम पर वोट की राजनीति हो रही है। राजनीति में यथास्थितिवादी लोग भाई-भतीजावाद के नाम पर वर्षों तक सत्ता पर काबिज रहते हैं। यूनिवर्सिटी में भी यही होता है, सब जाति पर चलता है, भैया लोग भैया को लाना चाहते हैं, पूरे देश में अमूमन यही स्थिति चल रही है। अँग्रेजों ने हमारे देश को जाति-धर्म के नाम पर बँटवारा कर दिया है। डीएनए टेस्ट से यह पता चल चुका है कि सब जाति एक ही हैं, रंग में फर्क इसीलिए है कि जो इक्वेटर के करीब हैं, वे श्याम हैं और जो दूर हैं वे थोड़े सफेद हैं। हमें जातीय आधार पर वोट न देकर व्यक्ति के काम के आधार पर वोट देना चाहिए ताकि लोकतांत्रिक मूल्य सुदृढ़ हो सके।

प्रश्न. सरकार को उत्पादन और उपभोक्ता के बीच किस प्रकार की भूमिका निभाने की जरूरत है?

उत्तर. एक लोककल्याणकारी राज्य में सरकार को कानून व्यवस्था उत्तम रखनी चाहिए। सरकार उत्पादन और उपभोक्ता के बीच अंपायरिंग करनी चाहिए। सरकार को लगे कि कहीं अन्याय हो रहा है तो उसमें हस्तक्षेप करें। सरकार डबल रोटी, पानी न बेचें या फिर कोल्ड ड्रिंक्स न बनाएँ।

प्रश्न. मानवीय नैतिक मूल्य के लिए आप आध्यात्म को कितना आवश्यक मानते हैं?

उत्तर. प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति अपना अहम स्थान रखती है। ऋषिमुनियों ने यही कहा था कि आध्यात्मिकता और भौतिकतावाद का एक समन्वय हो। खेद की बात है कि आज जो पूँजीवाद व साम्यवाद है, ये दोनों भौतिकतावाद पर आधारित हो गया है। पूँजीवाद में तो मुनाफा कमाने के लिए सबकुछ त्याग किया जा सकता है और आज साम्यवाद में देश की उन्नति के लिए हर व्यक्ति अपना अस्तित्व को समाप्त कर देता है। इसलिए धीरे-धीरे दुनिया के सामने एक चेतना आयी है कि सिर्फ भौतिकतावाद से कोई संतोष नहीं मिल सकता है और आज हम देख रहे हैं कि कितने ही विदेशी हमारे देश में योग और आध्यात्म की ओर आ रहे हैं। हमें नैतिक मानवीय मूल्य की तलाश के लिए आध्यात्म की ओर प्रवृत्त होने की जरूरत है।

प्रश्न आप शुरू से ही जनता पार्टी में हैं, क्या कारण है कि बड़े-बड़े दिग्गजों ने जनता पार्टी को छोड़ दिया पर आपने नहीं, आखिर क्यों?

उत्तर. जनता पार्टी को अन्य लोगों की तरह मैंने नहीं छोड़ा। मोरारजी देसाई, नानाजी देशमुख मुझे व कई अन्य को जर्बदस्ती राजघाट ले गए, कसम खिलायी कि हम जनता पार्टी नहीं छोड़ेंगे। सभी चले गए पर मैंने कसम खाया है तो जनता पार्टी नहीं छोड़ूँगा।


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