चूर्णातु (कैल्शियम) मनुष्यों के लिए आवश्यक 21 तत्वों में से एक है। आहार में
अपेक्षाकृत बड़ी मात्रा में आवश्यक तीन खनिजों में से यह एक है। मानव
स्वास्थ्य के संबंध में खनिजों में सबसे ज्यादा अध्ययन किया जाने वाला खनिज
चूर्णातु है। चूर्णातु के बाद जिनका सबसे अधिक अध्ययन किया गया है वो खनिज
क्रमशः लोहा, जस्ता और भ्राजातु हैं। विश्वभर में लोगों में सबसे आम खनिज-कमी
होती है लोहे, जंबुकी और जस्ते की। फिर भी, इन खनिजों की अपेक्षा, जिस खनिज के
अनुशंसित सेवन से सबसे ज्यादा परे हम लोग हैं वह चूर्णातु है। इसके अपर्याप्त
सेवन से जिन बीमारियों के संकेत हमें मिलते हैं, उन संकेतों के मिलने की अवधि
में इतना लंबा विलंब होता है कि स्वास्थ्य के साथ हम पर्याप्त रूप से इसका
संबंध नहीं जोड़ पाते हैं।
शरीर में चूर्णातु पोषक तत्व, हड्डी में संरक्षित रहता है। इसी संरक्षण से
हमारे शरीर को यांत्रिक शक्ति और कठोरता प्राप्त होती है। यही संरक्षण
गुरुत्वाकर्षण के खिलाफ काम करने में हमारी मदद करता है। इस संरक्षण की मात्रा
कम या ज्यादा करने का मतलब चूर्णातु के परमाणुओं को कम या ज्यादा करना नहीं
है। शरीर में जब यह संरक्षण कम या ज्यादा होता है, तो हड्डी के ऊतकों की
सूक्ष्म इकाइयों में कमी या बढ़ोतरी होती है। इस संरक्षण का आकार यांत्रिक भार
और शुद्ध आहार से उपलब्ध चूर्णातु के संयोजन के द्वारा निर्धारित होता है।
चूर्णातु एक ऐसा तत्व है जो एक देहली तक ही बढ़ सकता है। चूर्णातु के सेवन के
बढ़ने से हड्डी द्रव्यमान तब तक बढ़ता है जब तक यांत्रिक जरूरतों को पूरा किया
जा सके। इस स्तर के ऊपर चूर्णातु का प्रतिधारण नहीं होता है और अवशोषित
चूर्णातु उत्सर्जित हो जाता है।
मानव कंकाल चूर्णातु का एक संरचनात्मक भंडार है। यह चूर्णातु की सांद्रता को
बनाए भी रखता है और निगले हुए चूर्णातु का इष्टतम उपयोग करने में मदद करता है।
यह हड्डी गठन और हड्डी पुनर्वसन के संतुलन को समायोजित करता है। हड्डी गठन में
रक्त से हड्डी तक खनिज का स्थानांतरण होता है, और हड्डी पुनर्वसन में हड्डी से
रक्त में खनिज स्थानांतरण होता है। चूर्णातु को आमतौर पर हड्डी से वापिस नहीं
लिया जा सकता है। यह संरचनात्मक हड्डी इकाइओं को फाड़कर माँजा जाता है। इस
प्रकार कंकालीय चूर्णातु भंडार में कमी, हड्डी द्रव्यमान में कमी के बराबर है।
और इसका संवर्धन, हड्डी द्रव्यमान के संवर्धन के बराबर है।
गठन और पुनर्वसन दोनों व्यवस्थित और स्थानीय रूप से जुड़े है। जब पुनर्वसन
ज्यादा होता है, तो आमतौर पर गठन भी ज्यादा होता है। परंतु यह युग्मन न तो
निरंतर होता है, न ही परिपूर्ण। उपवास के दौरान, पुनर्वसन आमतौर पर गठन से
अधिक होता है। इस दौरान आँत से चूर्णातु अवशोषित नहीं हो रहा होता है। निगले
हुए भोजन या चूर्णातु पूरकों के सेवन से गठन, पुनर्वसन से अधिक होता है। इस
तरह शरीर, आँतों के आंतरायिक अवशोश्कीय आगतों को समायोजित करता है। औसतीय तौर
से देखा जाए को कुल मिलाकर दोनों प्रक्रियाएँ बराबर हो जाती हैं। चूर्णातु के
भंडार के आकार में निरंतर शुद्ध असंतुलन कई परिस्थितियों में होता है। उदाहरण
के लिए, विकास के दौरान हड्डी का गठन, पुनर्वसन से अधिक होता है। स्तनपान के
दौरान, पुनर्वसन, गठन से अधिक होता है। चूर्णातु की आहार में कमी के चलते, या
ऑस्टियोपोरोसिस के विकास के दौरान भी पुनर्वसन अधिक होता है।
कई मामलों में चूर्णातु एक अद्वितीय पोषक तत्व है। भले ही स्वस्थ व्यक्तियों
में पर्याप्त भंडार वाला यह एकमात्र पोषक तत्व न हो, लेकिन यह एकमात्र ऐसा
पोषक तत्व है जिसके भंडार का उपयोग संरचनात्मक समर्थन के लिए होता है। हम
चूर्णातु पोषक तत्व के भंडार के सहारे चलते हैं। ऊर्जा या वसा-घुलनशील विटामिन
की तरह हमारा शरीर चूर्णातु के निरंतर अधिशेष को संगृहीत करके नहीं रख सकता
है। हड्डी के ऊतकों की मात्रा कोशिकाओं की प्रक्रियाओं पर निर्भर होती है।
इसके लिए जिम्मेदार हड्डी-कोशिका-उपकरण का नियंत्रण यांत्रिक बालों के द्वारा
होता है। यह चूर्णातु सेवन के द्वारा नियंत्रित नहीं होता है। संक्षेप में,
अगर चूर्णातु का हम पर्याप्त सेवन करते हैं, तो हमारे पास केवल उतनी ही हड्डी
होती है जितने की हमें वर्तमान में अनुभव होने वाले यांत्रिक भारों के लिए
आवश्यक है। जब हमारे कंकाल अपने अनुवांशिक और यांत्रिक रूप से निर्धारित
द्रव्यमान तक पहुँच जाते हैं, तब हम महज अधिक चूर्णातु का उपभोग कर अधिक हड्डी
जमा नहीं कर सकते।