1.
	परिवार के दुख से
	सबसे ज्यादा लड़कियाँ दुखी होती हैं
	होती है माँ, बहन, पत्नी, बेटी, दादी
	आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी देन है तलाक
	कहती है वकील
	कहती है महिला मजिस्ट्रेट
	कहती है सरकार और पुलिस
	कहता है एक पुरुष
	दुख में सबसे ज्यादा लड़कियाँ दुखी होती हैं
	2.
	महिला मजिस्ट्रेट :
	जितना मैं लिखती हूँ तलाक
	हत्या करती हूँ अपने ही किसी 'मैं' की
	वकील :
	जितनी बार मैं दाखिल करता हूँ ऐसा केस
	एक्सीडेंट में क्षत-विक्षत शव को लेकर दाखिल होता हूँ
	किसी नर्सिंग होम में
	पुलिस :
	जितनी बार कोई आता है
	मेरे पास यह शब्द लेकर
	लगता है कोई अनाथ बच्चा
	भूल गया हो अपना घर
	पुरुष :
	सभ्यता समीक्षा में लिखा गया
	भावना पर भारी पड़ा वर्तमान
	वर्तमान पर भारी पड़ा मनुष्य
	मनुष्य का मैं
	3.
	सिर्फ महिलाएँ ही नहीं भोगती हैं यंत्रणा, लांछना
	पुरुष भी उतने ही भागीदार होते हैं
	कही कहीं कुछ ज्यादा ही
	दो व्यक्तियों के मिलकर रहने के फैसले में
	शामिल नहीं हुई थी सरकार
	पुलिस, वकील, पैसा, श्रम, समय
	दुख और न ही यंत्रणा
	प्यार या प्यार जैसा कुछ था
	जिसमें शामिल था आकाश या आकाश जैसा कुछ बड़ा-सा
	या कुछ और जिसका नाम नहीं दिया जा सकता
	सिर्फ महसूस किया गया था कुछ-कुछ वैसा ही
	अब शामिल है इसमें प्यार, तकरार, हिंसा जैसा कुछ
	कुछ-कुछ मालिकाना हक या तानाशाह जैसा कुछ
	कुछ-कुछ भागते हुए चोर और पुलिस जैसा कुछ
	वास्तव में मनुष्य
	जो कानून की परिभाषा में पति-पत्नी जैसा कुछ है
	तय नहीं कर पाता कि कौन है चोर
	कौन है पुलिस
	किसमें हैं पति के गुण
	कौन रहता है पत्नी की तरह
	पति जैसा आदमी कोर्ट से बाहर आकर कहता है :
	'अपने से हारल, मेहरी के मारल
	केकरा से कही?' और मुस्कुरा देता है फिच्च से
	पत्नी जैसी महिला गाती है गीत :
	'हम तो डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे'
	और फेसबुक पर अपलोड करती है एक फोटो जैसा कुछ
	उसमें एक लड़का
	एक लड़की की तरफ बढ़ाता है गुलाब जैसा कुछ
	जब स्टेशन से गाड़ी खुल चुकी होती है
	4.
	तलाक की अंतिम परिणति क्या होती है?
	कौन जीतता है?
	कौन हारता है?
	अंततः मुक्त होता है कौन?
	पाता क्या है कोई?
	पाना खोना मुक्ति जीतना हारना खुशी गम प्यार
	शब्दों में जल जाते हैं
	'तलाक आधुनिक सभ्यता की सबसे बड़ी देन है'
	किताबी भाषा में तब्दील हो जाती है यह पंक्ति
	सभ्यता व्यक्तिकेंद्रित हो गई है
	इस समय