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कविता

गौ राशि की कन्या

अंकिता आनंद


एक टोकरी आम
पर्याप्त होने चाहिए,
मेरे पिता ने सोचा
जब वो नाना के लिए उन्हें लेकर आए।

होने भी चाहिए थे
(पर्याप्त),
पर नाना के लिए
जो अब है, वो सब है।

सो जब उन्होंने पाए
केवल चार आम जो
पर्याप्त
रूप से पके हुए थे, तुरंत खाए जा सकते थे,

वे बाहर निकले, उस गति से जो
पर्याप्त
थी फलवाले तक पहुँच
एक उपयुक्त पाँचवे को ढूँढ़ने के लिए।

उनकी पत्नी और दामाद सिर हिलाते
उनकी पीठ को धुँधला होते देखते रहे,
हालाँकि बीते सालों में वे जान चुके थे
पर्याप्त

ये समझने के लिए कि
हर आम के साथ वे जीवन का पूरा स्वाद
चूसते जाते थे, ताकि वो हो सके
पर्याप्त

अगली गर्मी तक और पिछली कई गर्मियों के
अभाव को मिटाने के लिए,
जिसे वो जी चुके थे, जिसकी मृत्यु की प्रतीक्षा कर चुके थे
पर्याप्त।


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