वहाँ मीर तकी मीर थे
	ग़ालिब, निराला, नेरुदा और
	पाब्लो पिकासो
	वहाँ भीमसेन जोशी आए
	ज़ाकिर हुसैन और तीजन बाई
	बेगम अख्तर और गुलाम अली
	लेकिन, अफसोस हम दुनिया को बचा न सके
	वहाँ एक गेंद थी
	उछलती धरती पर
	एक सायकिल लगातार दौड़ती सड़क पर
	मिट्टी के खिलौने रंग-बिरंगे
	जिनसे खेलते थे बच्चे
	दृश्य थे धूप से भरे हुए
	लेकिन, अफसोस हम दुनिया को बचा न सके
	वहाँ शब्द थे
	आवाजें और संवाद
	एक गीत लय में डूबा हुआ
	गमलों में लगे फूल
	और मैदानों की हरी घास
	भुरभुरी मिट्टी और भोर की लाली
	लेकिन, अफसोस हम दुनिया को बचा न सके