महत्वपूर्ण बात तत्काल गिरफ्तार न होना थी। जिम एक दरवाजे की ओट में छिप गया
	और उसका पीछा करने वाले पुलिसवाले लगभग उससे आगे निकल गए। लेकिन फिर अचानक
	उसने गली में उनके कदमों के लौटने की आवाज सुनी। वह तेजी से कूदता हुआ भागा।
	"रुको, वर्ना हम तुम्हें गोली मार देंगे, जिम!"
	"हाँ, हाँ, मारो गोली!" उसने सोचा और तब तक वह उनकी प्रहार सीमा से दूर जा
	चुका था। उसके कदम उसे पुराने शहर की ढलान वाली गलियों के बीच से तेजी से भगाए
	लिए जा रहे थे। फव्वारे के ऊपर वह सीढ़ियों की रेलिंग पर से कूदा। फिर वह
	मेहराब के नीचे था जहाँ उसके कदमों की आवाज गूँजने लगी।
	उसे जहन में जिन सभी लोगों के नाम याद आए उनके यहाँ इस समय जाना ठीक नहीं था।
	लोला, नहीं। निल्दे, नहीं। रेनी, नहीं। ये पुलिसवाले उसे ढूँढ़ते हुए जल्दी ही
	इन सब लोगों के घरों के दरवाजे खटखटाने पहुँच जाएँगे। यह एक मृदुल-सी रात थी
	और आकाश में ऐसे फीके-से बादल थे जैसे दिन में नहीं दिखते थे। बादल, जो गली के
	ऊपर स्थित मेहराब के भी बहुत ऊपर थे।
	नए शहर की चौड़ी सड़कों के पास पहुँचने पर मारियो अल्बानेसी उर्फ जिम बोलेरो
	ने अपनी चाल थोड़ी धीमी की और अपने माथे पर गिर आई बालों की लटों को अपने
	कानों के पीछे किया। कहीं किसी के कदमों की कोई आवाज नहीं आ रही थी। दृढ़ता और
	सावधानी से उसने सड़क पार की और आर्मांडा के मकान के दरवाजे पर दस्तक दी। रात
	के इस पहर वह आम तौर पर अकेली होती थी। इस समय तो वह सो रही होगी। इस बार उसने
	जोर से दरवाजा खटखटाया।
	"कौन है?" एक पल के बाद झल्लाए हुए एक पुरुष स्वर ने पूछा।" इस समय रात को सब
	सोना चाहते हैं...।" वह लिलिन था।
	"एक मिनट दरवाजा खोलना, आर्मांडा। मैं हूँ, जिम," उसने कहा।
	आर्मांडा ने बिस्तर पर करवट बदली।" अरे, लड़के। एक मिनट। मैं दरवाजा खोलती
	हूँ... ओह, तो तुम हो, जिम।" उसने बिस्तर के पास बँधी रस्सी को पकड़ कर खींचा।
	आज्ञा का पालन करते हुए बाहरी दरवाजा खुल गया। अपने दोनों हाथ जेबों में रखे
	हुए जिम गलियारे में से चलता हुआ शयन-कक्ष में आ गया। चादरों के बीच आर्मांडा
	अपने बड़े बिस्तर पर अपनी विशाल काया को फैलाए लेटी थी। बिना बनाव-श्रृंगार के
	तकिए पर पड़ा उसका चेहरा ढीला और झुर्रियों से भरा हुआ था। बिस्तर के दूसरे
	कोने में उसका पति लिलिन लेटा हुआ था। ऐसा लग रहा था जैसे वह अपना छोटा-सा
	नीला चेहरा तकिए में घुसा लेना चाहता था ताकि वह अपनी बाधित नींद को पूरा कर
	सके।
	लिलिन को तब तक प्रतीक्षा करनी पड़ती है जब तक अंतिम ग्राहक निपट नहीं जाता।
	फिर वह बिस्तर पर लेट कर अपने आलस-भरे दिन में एकत्र हो गई थकान को दूर करने
	के लिए निद्रा की आगोश में जा सकता है। क्या करना है और कैसे करना है, इसके
	बारे में लिलिन कुछ नहीं जानता है। यदि उसके पास पर्याप्त संख्या में सिगरेट
	हो, तो वह संतुष्ट रहता है। आर्मांडा को लिलिन पर ज्यादा रकम खर्च नहीं करनी
	पड़ती। लिलिन दिन भर में जितनी सिगरेट पीता है, बस उतने का ही खर्च आर्मांडा
	वहन करती है। रोज सुबह वह अपना सिगरेट पैकेट ले कर बाहर निकल जाता है। वह
	थोड़ी देर के लिए कभी मोची के पास बैठता है, कभी कबाड़ीवाले के पास तो कभी
	नलसाज के पास। उन सभी दुकानों के स्टूल पर बैठकर वह एक-के-बाद-एक सिगरेट पीता
	रहता है। उसके हाथ उसके घुटनों पर होते हैं, उसका चेहरा पीला होता है और उसकी
	दृष्टि तंद्रालु होती है। वह किसी जासूस की तरह सबकी बातें सुनता है पर खुद
	कभी-कभार ही कोई संक्षिप्त
	टिप्पणी करता है या अप्रत्याशित कुटिल मुस्कान देता है।
	शाम के समय जब अंतिम दुकान भी बंद हो जाती है, वह शराब के ठेके पर जाता है और
	लगभग एक लीटर दारू से अपना गला तर करता है। फिर वह वहीं बैठ कर तब तक अपनी
	बाकी बची सारी सिगरेटों को फूँकता है जब तक कि दारू के ठेके के बंद हो जाने का
	समय भी नहीं हो जाता। जब वह वहाँ से बाहर आता है, तब भी उसकी बीवी कोर्सो के
	इलाके में अपने छोटे परिधान, सूजे हुए पैरों और तंग जूतों में अपने नियमित
	गश्त पर होती है। लिलिन गली के एक कोने के पास प्रकट होता है, एक धीमी सीटी
	बजाता है और अपनी पत्नी को यह बताने के लिए कुछ शब्द बुदबुदाता है कि अब देर
	हो गई है और घर का बिस्तर उसकी प्रतीक्षा कर रहा है। लेकिन वह अपने पति की ओर
	नहीं देखती। वह फुटपाथ पर ऐसे खड़ी है जैसे वह किसी मंच पर खड़ी हो। उसके उरोज
	तार वाली लचीली अंगिया में दबे हुए हैं। ऐसा लगता है जैसे उसकी अधेड़ देह किसी
	छोटी उम्र की लड़की के कपड़ों में घुसी हुई है। वह अपने पर्स को अपने हाथों
	में अधीरता से झटक रही है। वह अपनी सैंडल की एड़ी से फुटपाथ पर दायरे बना रही
	है। अचानक वह गुनगुनाने लगती है। ऐसी अवस्था में वह अपने पति को मना करते हुए
	कहती है कि अभी भी वहाँ काफी चहल-पहल है। इसलिए उसे घर जा कर आर्मांडा के आने
	की प्रतीक्षा करनी चाहिए। हर रात वे दोनों इसी तरह एक-दूसरे से प्रेम जताते
	हैं।
	"तो कैसे आना हुआ, जिम?" आर्मांडा की आँखों में हैरानी का भाव है। जिम को पहले
	ही छोटी मेज पर पड़ा सिगरेट-पैकेट दिख गया है और उसने उसमें से एक सिगरेट ले
	कर जला ली है।
	"मुझे आज की रात यहाँ बितानी है।"
	"ठीक है, जिम। बिस्तर पर आ जाओ। लिलिन प्यारे, तुम सोफे पर चले जाओ। उठो, जिम
	को बिस्तर पर आने दो।"'
	लिलिन पत्थर की तरह वहीं पड़ा रहता है। फिर शिकायत भरी आवाज में अस्प्षट-सा
	कुछ बुदबुदाते हुए वह किसी तरह उठता है, बिस्तर से उतरता है, अपना तकिया, कंबल
	और मेज पर रखा सिगरेट पैकेट उठाता है।
	"बढ़िया, लिलिन प्यारे, चलो, शाबाश !"
	वह झुका हुआ है और और बहुत छोटा लग रहा है। इन सभी चीजों के भार तले दबा हुआ
	वह गलियारे में रखे सोफे की ओर चला जाता है।
	अपने कपड़े उतारते हुए जिम सिगरेट के कश लेता रहता है। वह अपनी पतलून को ध्यान
	से मोड़ कर हैंगर पर टाँग देता है। फिर वह अपनी जैकेट को भी बिस्तर के सिरहाने
	के पास रखी हुई कुर्सी पर व्यवस्थित रूप से रख देता है। इसके बाद वह एक और
	सिगरेट पैकेट, माचिस और ऐश-ट्रे दूसरी जगह से उठा कर अपनी पास वाली छोटी मेज
	पर ले आता है और खुद बिस्तर पर लेट जाता है। आर्मांडा कमरे की बत्ती बुझाकर एक
	ठंडी साँस लेती है। लिलिन गलियारे में पड़े सोफे पर सो गया है। आर्मांडा करवट
	बदलती है। जिम अपनी सिगरेट बुझा देता है। तभी दरवाजे पर दस्तक होती है।
	जिम का हाथ जैकेट की जेब में रखी रिवाल्वर पर चला जाता है। अपने दूसरे हाथ से
	उसने आर्मांडा की कोहनी पकड़ी हुई है। वह फुसफुसा कर आर्मांडा से सावधान रहने
	के लिए कहता है। आर्मांडा की बाँह मोटी और कोमल है और कुछ पल वे दोनों उसी
	अवस्था में रहते हैं।
	"कौन है, पूछो लिलिन," आर्मांडा धीमी आवाज में कहती है।
	गलियारे में सोफे पर लेटा लिलिन व्यग्र हो कर झुँझलाता है और अशिष्टता से
	पूछता है, "कौन है, बे?"
	"अरे, अर्मांडा! मैं हूँ, एंजेलो।"
	"एंजेलो कौन?"
	"पुलिस का सार्जेंट, एंजेलो। मैं इधर से गुजर रहा था तो सोचा, तुमसे मिलता
	चलूँ। क्या तुम एक मिनट के लिए दरवाजा खोलोगी?"
	जिम बिस्तर से नीचे उतर आता है और आर्मांडा से चुप रहने का इशारा करता है। वह
	गुसलखाने का दरवाजा खोल कर अंदर झाँकता है और फिर जिस कुर्सी पर उसके कपड़े
	पड़े हैं, वह कुर्सी लेकर वह गुसलखाने में चला जाता है।
	"मुझे किसी ने यहाँ आते हुए नहीं देखा है। जल्दी से उसे यहाँ से भगाओ।" जिम
	मृदु आवाज में कहता है और गुसलखाने में जाकर दरवाजा भीतर से बंद कर लेता है।
	"प्यारे लिलिन, बिस्तर पर आ जाओ। चलो, लिलिन।" बिस्तर पर लेटे-लेटे आर्मांडा
	दोबारा कमरे की व्यवस्था सुनिश्चित करने लगती है।
	"आर्मांडा, तुम मुझे बाहर ही प्रतीक्षा करवा रही हो," दरवाजे के बाहर खड़ा
	पुलिस सार्जेंट बोलता है।
	लिलिन शांत भाव से सोफे पर से उठता है, अपना तकिया, कंबल, सिगरेट-पैकेट, माचिस
	और ऐश-ट्रे उठा कर बिस्तर पर आ जाता है। बिस्तर पर लेट कर वह ओढ़ने वाली चादर
	से अपनी आँखें ढँक लेता है। आर्मांडा रस्सी पकड़ कर खींचती है और बाहर का
	दरवाजा खुल जाता है।
	सार्जेंट सोड्डू भीतर आता है। वह पुलिस की वर्दी में नहीं है और उसके बूढ़े
	चेहरे पर अस्त-व्यस्तता का भाव है। उसका चेहरा मोटा है और मूँछें सफेद हैं।
	"सार्जेंट, आप देर रात तक काम पर हैं," आर्मांडा कहती है।
	"अरे, मैं तो टहलने निकला था," सोड्डू कहता है, "और मैंने सोचा कि तुमसे मिलता
	चलूँ।"
	"आप क्या चाहते हैं ?"
	सोड्डू बिस्तर के सिरहाने के पास रुमाल से अपने माथे का पसीना पोंछ रहा था।
	"कुछ नहीं, बस तुमसे मिलने चला आया। और नया क्या चल रहा है?"'
	"नया कैसा?"
	"संयोग से कहीं तुमने अल्बानेसी को देखा है क्या?"
	"जिम? अब उसने क्या किया है ?"
	"कुछ नहीं। बच्चों वाली हरकतें... हम उससे कुछ पूछताछ करना चाहते थे। क्या
	तुमने उसे देखा है?"
	"तीन दिन पहले।"
	"मेरा मतलब आज और अभी से है।"
	"मैं तो पिछले दो घंटे से सो रही थी, सार्जेंट। आप मुझसे यह सब क्यों पूछ रहे
	हैं? उसकी प्रेमिकाओं रोजी, निल्दे, लोला वगैरह के पास जाइए और उनसे
	पूछिए...।"
	"कोई फायदा नहीं। जब वह कुछ गड़बड़ करता है और मुसीबत में होता है तब उन सबसे
	दूर रहता है।"
	"वह यहाँ नहीं आया है। शायद अगली बार, सार्जेंट।"
	"खैर, आर्मांडा। मैं तो वैसे ही पूछ रहा था। जो भी हो, तुम से मिलकर अच्छा
	लगा।"
	"शुभ रात्रि, सार्जेंट।"
	"शुभ रात्रि।"
	सोड्डू मुड़ा लेकिन दरवाजे की ओर नहीं गया।
	"मैं सोच रहा था... अब तो लगभग सुबह होने वाली है, और मुझे अब गश्त भी नहीं
	लगानी। मैं अपने कमरे के बिस्तर पर वापस नहीं लौटना चाहता। अब जब मैं यहाँ आ
	ही गया हूँ तो क्यों न आज यहीं रुक जाऊँ। तुम क्या कहती हो, आर्मांडा। अब मेरे
	लिए थोड़ी जगह बनाओ।"
	"ठीक है। लिलिन सोफे पर चला जाएगा। लिलिन प्यारे, उठो, सोफे पर जाओ।"'
	लिलिन अपने लंबे हाथों से चीजें टटोलने लगा। उसने मेज से सिगरेट पैकेट लिया और
	भुनभुनाता हुआ किसी तरह उठा। बिस्तर से नीचे उतर कर उसने लगभग बिना अपनी आँखें
	खोले अपना तकिया, कंबल, माचिस उठाया। "चलो, प्यारे लिलिन।" वह हॉल में अपने
	पीछे कंबल घसीटता हुआ गलियारे में रखे सोफे की ओर चला गया। सोड्डू बिस्तर पर
	चादरों के भीतर घुस गया।
	उधर गुसलखाने में छिपा हुआ जिम गुसलखाने की खिड़की से आकाश को गहरे हरे रंग
	में बदलते हुए देख रहा था। मुश्किल यह थी कि वह अपना सिगरेट-पैकेट शयन-कक्ष की
	मेज पर ही छोड़ आया था। और अब वह पुलिस सार्जेंट उसी कमरे के बिस्तर पर जा
	लेटा था। इसके कारण जिम को सुबह होने तक बिना सिगरेट के वहीं छिपे रहना पड़
	सकता था - कमोड वाले उस छोटे-से गुसलखाने में जहाँ टैल्कम पाउडर के बहुत सारे
	डिब्बे पड़े थे। उसने चुपचाप दोबारा अपने कपड़े पहन लिए थे, कंघी से अपने बाल
	सँवारे थे और वाश-बेसिन के आईने में अपने हुलिये पर निगाह डाली थी। वहाँ ताक
	पर इत्र और आँखों की दवाई की शीशियों के साथ कई अन्य दवाइयाँ और कीटनाशक मौजूद
	थे। खिड़की से आती रोशनी में उसने कई शीशियों पर लिखे दवाइयों के नाम पढ़े, एक
	शीशी में से कुछ दवाइयाँ चुरा कर जेब में रख लीं और गुसलखाने में चारों ओर
	देखना जारी रखा। वहाँ ढूँढ़ने के लिए ज्यादा कुछ नहीं था। कुछ कपड़े टब में
	पड़े थे, कुछ खूँटी पर लटके हुए थे। उसने वाश-बेसिन के नल की जाँच की - आवाज
	के साथ पानी बाहर आया। यदि सोड्डू ने सुन लिया तो? भाड़ में जाए सोड्डू और जेल
	का भय।
	जिम ऊब महसूस कर रहा था। उसने कुछ इत्र अपने जैकेट पर छिड़का और बालों में
	ब्रिलियंटाइन लगाया। सच यह था कि यदि वे उसे आज गिरफ्तार नहीं कर पाए तो कल कर
	लेंगे। लेकिन वे उसे रंगे हाथों नहीं पकड़ पाए थे। इसलिए यदि सब ठीक रहा तो
	अंत में वे उसे छोड़ देंगे। उस, आरामदेह कमरे, में बिना सिगरेट के अगले दो-तीन
	घंटे बिताना तो यातनादायक था। घबराने की क्या बात है - उसने सोचा। जाहिर है,
	बिना किसी सबूत के उन्हें उसे जल्दी ही छोड़ देना पड़ेगा। उसने गुसलखाने में
	मौजूद एक अल्मारी खोली। अल्मारी खुलते समय पल्लों के चरमराने की आवाज आई। भाड़
	में जाए अल्मारी और सब कुछ। अल्मारी में आर्मांडा के कपड़े लटके हुए थे। जिम
	ने अपना रिवाल्वर निकाल कर आर्मांडा के एक चमड़े के जैकेट की जेब में डाल
	दिया। मैं बाद में वापस आकर अपना रिवाल्वर ले जाऊँगा, उसने सोचा। वैसे भी
	आर्मांडा को अगली सर्दियों तक इस जैकेट की जरूरत नहीं पड़ेगी। उसने जब जैकेट
	की जेब से अपने हाथ बाहर निकाले तो पाया कि उसके हाथ में नैप्थलीन की गोलियों
	का सफेद रंग लग गया था। बढ़िया है, वह हँसा। अब उसकी रिवाल्वर को कीड़े नहीं
	खा पाएँगे। उसने अपने हाथ दोबारा धोए लेकिन आर्मांडा का गंदा तौलिया उसे उबकाई
	दिला रहा था। इसलिए उसने अपने गीले हाथ अल्मारी में टाँगे एक वस्त्र से पोंछ
	लिए।
	बिस्तर पर लेटे हुए सोड्डू ने गुसलखाने से आती आवाजें सुनी थीं। उसने आर्मांडा
	पर अपना एक हाथ रखते हुए पूछा, "वहाँ अंदर कौन है?"
	आर्मांडा उसकी ओर मुड़ी और अपनी नरम बाँह उसके गले के गिर्द डालती हुई बोली,
	"कोई नहीं... वहाँ कौन हो सकता है...?"
	सोड्डू खुद को आर्मांडा की पकड़ से छुड़ाना नहीं चाहता था लेकिन उसे गुसलखाने
	में किसी के चलने-फिरने की आवाजें दोबारा सुनाई दीं। उसने फिर पूछा, "वहाँ
	क्या हो रहा है? कौन है वहाँ?"
	जिम गुसलखाने का दरवाजा खोलकर शयन-कक्ष में आ गया। "चलो सार्जेंट, बेवकूफों
	जैसा व्यवहार मत करो। मुझे गिरफ्तार कर लो।"
	सोड्डू ने अपना एक हाथ कुर्सी पर रखे जैकेट की जेब में डाल कर रिवाल्वर पकड़
	लिया। लेकिन उसने खुद को आर्मांडा के आलिंगन से नहीं छुड़ाया।
	"कौन हो तुम?"
	"जिम बोलेरो।"
	"खबरदार! अपने दोनों हाथ ऊपर करो।"
	"मेरे पास हथियार नहीं है, सार्जेंट। मूर्खता मत करो। मैं खुद को कानून के
	हवाले कर रहा हूँ।"
	अब वह बिस्तर के सिरहाने के पास खड़ा था। उसका जैकेट उसके कंधों पर पड़ा था और
	उसके दोनों हाथ आधे उठे हुए थे।
	"अरे, जिम! यह क्या!" आर्मांडा ने कहा।
	"मैं कुछ दिनों के बाद तुमसे मिलने आऊँगा, आर्मांडा।" जिम ने कहा।
	सोड्डू कुछ बुदबुदाता हुआ बिस्तर से उठ कर खड़ा हो गया। उसने फटाफट अपनी पतलून
	पहनी।
	"क्या वाहियात नौकरी है ...कभी पल भर का भी चैन नहीं है...।"
	जिम ने मेज पर से एक सिगरेट उठा कर जला ली और सिगरेट-पैकेट को अपनी जैकेट की
	जेब में डाल लिया।
	"मुझे भी एक सिगरेट दो, जिम," आर्मांडा बोली। यह कहते हुए वह अपने ढीले उरोज
	उठाए हुए जिम की ओर झुकी।
	जिम ने आर्मांडा के होंठों के बीच एक सिगरेट फँसाई और जला दी। फिर उसने जैकेट
	पहनने में सोड्डू की मदद करते हुए कहा, "अब चलते हैं, सार्जेंट।"
	"फिर कभी, आर्मांडा," सोड्डू बोला।
	"फिर मिलते हैं, एंजेलो," उसने कहा।
	"फिर मिलें, आर्मांडा ?" सोड्डू ने दोबारा कहा।
	"विदा, जिम।"
	वे दोनों बाहर की ओर चले गए। गलियारे में लिलिन टूटे हुए सोफे के किनारे पर
	लटका हुआ सो रहा था। वह हिला तक नहीं। अपने बड़े बिस्तर पर बैठी आर्मांडा
	सिगरेट पी रही थी। उसने कमरे की बत्ती बुझा दी क्योंकि अब बाहर से एक धूसर
	रोशनी पहले से ही कमरे में आ रही थी।
	"लिलिन," उसने पुकारा। "चलो, लिलिन। वापस बिस्तर पर आ जाओ। चलो, लिलिन
	प्यारे।"
	लिलिन पहले से ही अपना तकिया, ऐश-ट्रे वगैरह उठा रहा था।