सैनिक काफ़ी थक चुके थे क्योंकि वे पिछले दो दिनों से लड़ रहे थे और उन्होंने
पूरी रात पीठ पर बैग लिए मूसलाधार बारिश के बीच गुजारी थी। लेकिन पिछले तीन
घंटे उनके लिए नरक के समान थे;वे अपने हथियार जमीन पर रखे हुए थे और
राजमार्गों पर पड़ने वाले पोखरों एवं गीले मैदानों के कीचड़में इंतज़ार कर रहे
थे।
पिछली रातों की थकान से सभी झुक-ऊँघ रहे थे, उनकी वर्दी भी भीगी हुई थी एवं वे
एक-दूसरे को सहारा एवं गर्मी देने के लिए परस्पर चिपके हुए थे। कुछ लोग
खड़े-खड़े ही अपने बगल के लोगों के बैग पर सिर टिकाये सो रहे थे और उनके
शिथिल-क्षुब्ध चेहरे पर एवं नींद से बोझिल आँखों में थकान एवं कष्ट साफ दिख
रहा था। काले बादलों से घिरा आसमान भयावहदिख रहा था। एक तरफ बारिश और कीचड़ था
जिसने परिस्थितियों को और प्रतिकूल बना दियाथा; दूसरी तरफ न कोई आग की
व्यवस्था और न ही सूप आदि का कोई इंतजाम, ऊपर से चारों ओर से शत्रुओं का भय।
कितना मनहूस था यह सब...
वे वहाँ क्या कर रहें हैं ? क्या हो रहा है ?
तोपों का मुँह जंगल की तरफ ही है और वे बिल्कुल हमले के लिए तैनात-तैयारहैं,
पर वे आदेश का इंतजार कर रहे हैं। झाड़ियों में रखीं मशीनगनें भी एकटक अपनी सीध
में देख रही हैं। हर तरफ से आक्रमण करने की अच्छी तैयारी है। पर,वे हमला क्यों
नहीं कर रहे हैं ? वे आखिर किस चीज का इंतज़ार कर रहे हैं ?
वे लोग आदेश की प्रतीक्षा कर रहे हैं और उन्हें मुख्यालय से अभी तक कोई आदेश
नहीं मिला है।
हालाँकि मुख्यालय दूर नहीं है। वहाँमासिफ़ पर्वतों के बीच सुंदर किला है जिसकी
लाल ईटें बारिश में धुलने से चमक रही हैं। यह सही अर्थों में राजशाही आवास है
और एक मार्शल के लिए एकदम उपयुक्त है। उसके पीछे एक गहरी खाई और एक ऊँचे
पत्थरों की बनी दीवार है जो उसे सड़क से अलग करती है। सीढ़ी तक एक समान हरी
शाद्वल भूमि है जिसके किनारों पर फूलों की क्यारियाँ हैं। दूसरी ओर, महल के
आंतरिक हिस्से में लतामंडप, तालाब एवं चिड़ियाघर है।महल का भीतरी हिस्सा बीच
में काफी खुला और रौशन है। तालाब में हंस तैरते हैं तथा यह एक विशाल दर्पण की
भाँति किले को सुशोभित करता है। औरउस विशाल चिड़ियाघर के अंदर स्तूप की छत के
नीचे मोरहै, जो पत्तों के ढेर से अपनी कर्कश ध्वनि में चीख रहा है, सुनहरा
तीतर अपने पंख फड़फड़ा रहा है और मयूर अपने पंख गोल करके फैला रहे हैं। अगर
हाकिम लोग चले भी जाते हैं तो भी हम आत्मसमर्पण नहीं कर सकते; हम युद्ध को ऐसे
ही जारी रखेंगे। थलसेना प्रमुख के झंडे के नीचे घास के मैदान में छोटे-छोटे
फूल भी सुरक्षित हैं। मासिफ़ और राजमार्ग का उचित एवं योजनाबद्धप्रबंधन है। यह
बहुत ही असाधारण बात है कि युद्ध के मैदान से इतने समीपस्थान पर चीजें अपने
सही क्रम में हैं तथा यहाँ इतनी शांति है।
बारिश की वजह से सड़क गंदे कीचड़ से भर गयी है और चक्कों के चलने से गहरे गड्ढे
बन गये हैं। बरसात अब शीतल बौछार की तरह सुंदरएवं अभिजात नहीं रही जो ईटों की
लालिमा और लॉन की हरियाली को पुनर्जीवित कर सके एवं संतरे के पत्तों और हंसों
के उज्ज्वल पंखों को चमका दे। सब कुछ देदीप्यमान एवं शांत है। सचमुच, छत के
शिखर पर फहराने वाले झंडे के अभाव और मुख्य द्वार पर दो सैनिकों की अनुपस्थिति
के कारण कोई भीइसके मुख्यालय होने परविश्वास नहीं करेगा। घोड़े अस्तबल में आराम
कर रहे हैं।यहाँ-वहाँ अर्दली दिख रहे हैं,साईस लोग छोटे कपड़ों में रसोई घर के
आस-पास विश्राम कर रहे हैं और कुछ माली लाल रंग की पतलून में अपने पंजे चलाते
हुए चुपचाप बाड़े की गुड़ाई कर रहे हैं।
सीढ़ियों की तरफभोजन कक्ष की खिड़की खुलती है।वहाँ से दिख रहा है कि खाने की मेज़
पर तश्तरियाँ पड़ी हैं, बोतल खुले लुढ़के हैं, गिलास गंदले, मैले एवं खाली हैं
एवं मेज़पोश पर भी सिलवटें हैं। भोज के बाद सभी सहभोजी जा चुके हैं। बगल के
कमरों से हम ठहाकों की गूँज सुन सकते हैं, हँसी की अनुगूँज एवं बिलियर्ड्स की
गेंदकी लुढ़कने की आवाज़ एवं जाम से जाम के लड़ने की खनक सभी कुछ सुन सकते हैं...
फ़ील्ड-मार्शल अपने खेल में व्यस्त हैं और यही कारण है कि सेना आदेश की
प्रतीक्षा कर रही है। जब फ़ील्ड-मार्शल खेलते हैं तब जमीन फटे या आसमान गिरे,
कुछ भी हो; उस खेल में कोई दखल नहीं डाल सकता,बाज़ी जरूर पूरी होती है।
बिलियर्ड्स ! इस महान योद्धा की सबसे बड़ी कमजोरी है। खेल में भोजऔर शराब की
चहल-पहल होती है। वह इसमें भी युद्ध के समान गंभीर, पूरे यूनिफ़ॉर्म में, होता
है। उसके सीने मेडल से भरे हुए होते हैं तथाउसकी आँखें में उत्साह एवं उसके
गाल चमक रहे होते हैं। उसके सहयोगी उसे चारों तरफ से घेरे हुए, उत्साह से
लबालब आदर के साथ, उसके हर-एक शॉट पर वाह-वाह करते नहीं थकते। जब फ़ील्ड-मार्शल
कोई अंक अर्जित करता तो सभी अंक-तालिका की तरफ बढ़ते और अगर उसे प्यास लगती तो
सभी चाहते कि वे उसका जाम तैयार करें। इस बड़े-से बलूत की लकड़ी की कारीगरी से
सजे कमरे में उनकी कलगी और तमगे आपसे में टकरा रहे हैं, उनके अलंकरण और मेडल
की खनक गूँज रही है, सबके होठों पर प्यारी-सी मुस्कान है। नौकर दरबारी दंडवत
करते हैं, यहाँबहुत सारी नयी वर्दियाँ और उन पर की गई कढ़ाई बहुत फबती है। यह
कमरा एक तरफ पार्क में खुलता है और इसके दूसरी तरफ सुंदर आँगन है; इन सबको
देखकर कोंपिऐन्य के पतझड़ की याद आ जाती है। और वहाँ मिट्टी में लेटे-लेटे उनकी
टोपियाँ सड़ रही हैं, बारिश सड़कों के किनारे उनके समूह को और अधिक विषादपूर्ण
बना रही है ।
मार्शल का प्रतिद्वंदी उसी के बटालियन का एक नौजवान कैप्टन है जिसका
शरीरचुस्त, बालघुँघराले; और उसके हाथों में हल्के दस्ताने हैं। वह बिलियर्ड्स
का वाकईउम्दा खिलाड़ी है और उसमें दुनिया के सारे मार्शलों को हराने की क्षमता
भी है, लेकिन वह अपने रिपोर्टिंग अफ़सर से एक सम्मानजनक दूरी बनाये रखना जानता
है; वह कोशिश करता है कि वह नहीं जीते और साथ ही वह आसानी से हारना भी नहीं
चाहता है। और इसीलिए सभी उसे बहुत ही जहनी और भविष्य का बहुत बड़ा अफ़सर कहते
हैं।
सावधान, नौजवान आदमी, तुम्हें सचेत होने की जरूरत है। मार्शल के पंद्रह अंक और
तुम्हारे सिर्फ दस हैं। अगर तुमने इसी तरह से खेल को आखिर तक बनाये रखा तो तुम
अपनी तरक्की के लिए आवश्यकता से अधिक काम कर लोगे और अगर तुम औरों के साथ इस
मूसलाधार बारिश में बाहर होते जहाँ क्षितिज तक पानी-ही-पानी नज़र आ रहा है तो
व्यर्थ में कभी न आने वाले आदेश के इंतजार में तुम्हारी यह सुंदर यूनिफ़ार्म
गंदी होती और तुम्हारे ये सोने के मेडल की चमक धुँधली पड़ जाती।
यह खेल निस्संदेह दिलचस्प है। गेंदें लुढ़कती हैं फिर एक दूसरे को स्पर्श कर
आपस में रंग बदल लेती हैं। पट्टियाँ गेंद को वापस धकेलने में सहायक होती हैं
तथा गलीच इसे गरम रखता है ...
अचानक आकाश में तोप के गोले की लौ दिखाई देती है। एक धमाका खिड़कियों को हिला
कर रख देता है। सभी लोग काँप उठते हैं और एक-दूसरे को चिंतित-विस्मित नजरों से
देखते हैं। केवल मार्शल ही है जिसे न कुछ दिखा और न ही कुछ सुनाई दिया: वह
बिलियर्ड्स पर झुका हुआ एक अद्भुत ड्रॉ-शॉट लेने की तैयारी में है ; यह
ड्रॉ-शॉट ही उसकी सबसे बड़ी ताक़त है।...
लेकिन ये क्या... फिर एक विस्फोट और पुन: दूसरा। तोप के गोले एक के बाद एक
गिरते हैं और फिर उनकी बारिश होने लगती है। सहायक सैनिक अधिकारी खिड़कियों की
तरफ लपकते हैं। लगता है प्रूसियन हमला कर दिये हैं ?
"ठीक है, करने दो उन्हें आक्रमण !"- मार्शल ने कुछ सफ़ेद गेंदें रखते हुए
कहा... "अब तुम्हारी बारी है, कैप्टन ! "
सभी कर्मी विस्मय से काँप उठते हैं। बंदूक गाड़ी में सोया तुरैन्न भी इस मार्शल
के सामने कुछ नहीं है, जो कार्रवाई करने के समय इतने तल्लीन होकर बिलियर्ड्स
खेल रहा है। ... इसी बीच शोर दोगुना हो जाता है। तोप के गोलों के झटकों के साथ
मशीनगन की तड़तड़ और बंदूक चलने की खड़खड़, सभी की मिली-जुली आवाज सुनाई दे रही
है। लॉन में दूर किनारे से लालएवं काली धुंध छायी है। पूरे पार्क में आग की
लपटें उठ रही हैं। आतंकित मोर और तीतर अपने-अपने दरबों से चिघाड़ रहे हैं ;
अरबी घोड़े पाउडर की गंध सूंघकर अस्तबल में पीछे हट जाते हैं। मुख्यालय में
भगदड़ मच जाती है। तार पर तार आतेहैं। आपातकालीन संदेश पूरी रफ्तार से पहुँच
रहे हैं। सभी लोग मार्शल को खोज रहे हैं।
मार्शल को खोजा नहीं जा सकता, अभी वह पहुँच के बाहर है। मैंने आपसे कहा था न
कि जब वह एक बार खेल शुरू करता है तो फिर उसके खत्म होने तक कोई भीताक़त उसे
डिगा नहीं सकती।
"तुम्हारा शॉट है, कैप्टन !"
लेकिन कैप्टन घबरा जाता है। नौजवान होने के कारण ऐसा होता जाता है ! इसीलिए,
उसका ध्यान हट जाता है और वह एकके बाद एक दो शॉट खेल जाता है जो उसे उस खेल
में लगभग जीत के करीब ला देता है। यह देखकर मार्शल आग बबूला हो उठता है।
आश्चर्य-आक्रोश उसके चेहरे पर साफ-साफ झलक रहा है। ठीक उसी समय, एक घोड़ा सरपट
दौड़ते हुए आँगन में पहुँच जाता है और गिरकर लोटने लगता है। और तभी कीचड़ में
सना एक सहायक सैनिक अधिकारी के आदेश की अवहेलना करते हुए सीढ़ियों तक फ़र्लांग
भरते हुए पहुँच जाता है : "मार्शल ! मार्शल !..." आप देख सकते हैं वह किस तरह
से मार्शल का अभिवादन करता है। ... मार्शल तैश में आ जाता है और उसका मुँह
क्रोध से लाल हो जाता है, वह बिलियर्ड्स की छड़ी हाथ में लिये खिड़की पर आता है
:
"क्या हुआ ?... ये सब क्या है ?... क्या कोई संतरी नहीं है यहाँ ?
-पर, मार्शल ...
- ठीक है ... जल्द मिलते हैं ... मेरे आदेश की प्रतीक्षा करो, बेड़ा गरक हो
सबका... !"
और एक ज़ोर के झटके के साथ खिड़की बंद कर देता है।
वे उसके आदेश का इंतज़ार कर रहे हैं ! बेचारे बदनसीब लोग, अभी तक प्रतीक्षा ही
कर रहे हैं। हवा उनकी तरफ बारिश को ढ़केल रही है और साथ ही गोलियाँ उनके पूरे
शरीर को छलनी कर रही हैं। कई पूरी की पूरी बटालियन शिकस्त खा चुकी हैं, रौंदी
जा चुकी हैं जबकि दूसरी बटालियन पूरी तरह से हथियारों से लैस यूँ ही हाथ पर
हाथ रखे बेकार पड़ी हुई हैं; वे अपनी अकर्मण्यता-विवशता-लाचारी को समझने में
असमर्थ हैं। कुछ नहीं किया जा सकता। सभी हुक्म का इंतज़ार कर रहे हैं ...
बहरहाल, उन्हें मरने के लिए किसी के आज्ञा की आवश्यकता नहीं है, लोग उस विशाल
नीरव-नि:शब्द-मौन किले के सामने झाड़ियों के पीछे और खड्डों में गिर रहे हैं।
गिरने के बाद भी गोलियाँ उन्हें बख्श नहीं रही हैं बल्कि उन्हें और भेद रही
हैं, और उनके खुले घावों से फ़्रांस का महान रक्त बे-आवाज़ बहे जा रहा है ...
ऊपर कमरे में, जहाँ बिलियर्ड्स का खेलचल रहा है, वहाँ माहौल बिलकुल गरम है :
मार्शल ने फिर से अपनी बढ़त बना ली है; लेकिन नौजवान कैप्टन भी बख़ूबी शेर की
भाँति बचाव कर रहा है ...
सत्रह ! अठारह ! उन्नीस !...
उन्हें अंक दर्ज़ करने का भी समय नहीं मिलता। युद्ध का शोर क़रीब आ गया है।
मार्शल को जीतने के लिए एक और अंक की आवश्यकता है। बाग में पहले से ही गोले
गिर रहे हैं। अचानक तालाब के ऊपर एक गोला आ फटता है। शीशा टूटकर चकनाचूर हो
जाता है; एक डरा हुआ हंस खून से सने पंखों के बवंडर में तैर रहा है। और ये रहा
आखिरी शॉट...
अब, हाते में बारिश के गिरने की आवाज़, पहाड़ी की ढ़ाल पर भ्रमित गाड़ियों की
गड़गड़, और जलाक्रांत रास्तों पर सैनिकों के झुंड-जो बहुत हड़बड़ी में है- की
पदचाप-ध्वनि को छोड़कर, चारो ओर एक विशाल-विस्तीर्ण सन्नाटा पसरा हुआ है। सेना
की घोर पराजय होती है। मार्शल अपना दाँव जीत जाता है।