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					दिनकिशमिशी रेशमी गोरा
 मुसकराता
 आब
 मोतियों की छिपाए अपनी
 पाँखड़ियों तले
 
 
					सुर्मयी गहराइयाँभाव में स्थिर
 जागते हों स्वप्न जैसे
 माँगते हों कुछ...
 खिलौना जागता-सा
 मौन कोई
 
 
					क्या वही तो तू नहीं है मन? 
					×      ×
 
					गोद यहरेशमीगोरी, अस्थिर
 अस्थिर
 हो उठती
 आज
 किसके लिए?
 
					×      × 
					          जाओ बहार
 जा!
 मैं जा चुका कब का
 तू भी...
 ये सपने न दिखा!
 
 
					जाविदानी है अगर्चे तूजाविदानी है अगर्चे जिन्दगी
 फिर भी
 रह म कर!
 
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