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					मनुष्य के कल्याण के लिए 
					पहले उसे इतना भूखा रखो कि वह और कुछ 
				
					सोच न पाए 
					फिर उसे कहो कि तुम्हारी पहली जरूरत रोटी है 
					जिसके लिए वह गुलाम होना भी मंजूर करेगा 
					फिर तो उसे यह बताना रह जाएगा कि 
					अपनों की गुलामी विदेशियों की गुलामी से बेहतर है 
					और विदेशियों की गुलामी वे अपने करते हों 
					जिनकी गुलामी तुम करते हो तो वह भी क्या बुरी है 
					तुम्हें रोटी तो मिल रही है एक जून। 
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