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वर्धा हिंदी शब्दकोश

संपादन - राम प्रकाश सक्सेना


ओ1 हिंदी वर्णमाला का स्वर वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह उच्चतर-मध्य, पश्च, गोलित, दीर्घ स्वर है।

ओ2 [अव्य.] 1. किसी को पुकारने में प्रयुक्त शब्द, जैसे-ओ भैया! 2. आश्चर्य या विस्मय में मुँह से निकलने वाली ध्वनि।

ओंकार (सं.) [सं-पु.] 1. परब्रह्म का वाचक शब्द 2. 'ओम' (ॐ) एकाक्षरी मंत्र या इसका उच्चारण।

ओंकारनाथ (सं.) [सं-पु.] द्वादश ज्योतिर्लिंगों में से एक ज्योतिर्लिंग का नाम।

ओंगन [सं-पु.] गाड़ी की धुरी में दिया जाने वाला तेल।

ओंगना (सं.) [क्रि-स.] गाड़ी की धुरी में तेल (चिकनाई) लगाना।

ओंठ (सं.) [सं-पु.] 1. ओष्ठ; होंठ 2. घड़े आदि के मुँह का किनारा; कोर।

ओक (सं.) [सं-पु.] 1. निवास स्थान; घर 2. आश्रय 3. पक्षी 4. ग्रह-नक्षत्र आदि का समूह 5. ढेर; राशि 6. अंजलि।

ओकण (सं.) [सं-पु.] 1. खटमल 2. जूँ।

ओकना [क्रि-अ.] 1. ओ-ओ की ध्वनि निकालते हुए कै करना 2. रँभाना।

ओकपति (सं.) [सं-पु.] 1. नक्षत्रों का स्वामी 2. चंद्रमा 3. सूर्य।

ओकारांत (सं.) [वि.] वह (शब्द या पद) जिसके अंत में 'ओ' की मात्रा हो, जैसे- साधो।

ओखल1 (सं.) [सं-पु.] खरल; ऊखल; ओखली।

ओखल2 (सं.) [सं-पु.] परती भूमि; बहुत दिनों से न जोती गई भूमि; ऊसर भूमि।

ओखली (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ऊखल; काठ या पत्थर का बना हुआ एक बरतन जिसमें धान आदि की कुटाई की जाती है। [मु.] -में सिर देना : जानबूझकर कोई समस्या अपने ऊपर ले लेना।

ओखा [सं-पु.] गुजरात राज्य के जामनगर ज़िले का एक तटीय शहर। [वि.] 1. रूखा-सूखा 2. कठिन (कार्य) 3. कुंद; जिसकी धार चोखी अर्थात तेज़ न हो 4. हलका या साधारण 5. मिलावटी; अशुद्ध।

ओगारना [क्रि-स.] 1. तरल पदार्थ (जल आदि) को उलीचकर बाहर फेंकना 2. पंक, कीचड़ आदि निकाल कर कुएँ की सफ़ाई करना।

ओघ (सं.) [सं-पु.] 1. बहुत अधिक मात्रा; ढेर; राशि; समूह 2. पानी का बहाव या धार 3. सांख्य दर्शन के अनुसार एक तुष्टि का नाम- काल तुष्टि।

ओछा [वि.] 1. तुच्छ; हीन; हलका 2. छिछोरा; जिसमें गंभीरता का अभाव हो 3. जिसमें शालीनता का अभाव हो 4. कम गहरा; छिछला 5. कम; छोटा।

ओछापन [सं-पु.] ओछा होने का भाव; क्षुद्रता; नीचता; छिछोरापन।

ओज (सं.) [सं-पु.] 1. दीप्ति; कांति 2. बल; प्रताप; तेज 3. उजाला; प्रकाश; रोशनी 4. कविता का वह गुण जिसे सुनकर लोगों में वीरता, उत्साह आदि का आवेश हो।

ओजना (सं.) [क्रि-स.] 1. झेलना; सहना (आघात या वार) 2. अंगीकरण या धारण करना; अपने ऊपर लेना (भार)।

ओजस्विता (सं.) [सं-स्त्री.] तेज; दीप्ति; प्रताप; ओजस्वी होने की अवस्था गुण या भाव।

ओजस्वी (सं.) [वि.] 1. जिसमें ओज हो; शक्तिशाली 2. शक्तिमान; तेजस्वी 3. प्रभावशाली; प्रतापी 4. ओजयुक्त; वीर्यवान 5. जोश पैदा करने वाला।

ओज़ोन (इं.) [सं-स्त्री.] वायुमंडल में विद्यमान नीले रंग की एक गैस। ओज़ोन के एक अणु में ऑक्सीजन के तीन परमाणु होते हैं। यह प्रबल ऑक्सीकारक एवं ऑक्सीजन का घनीभूत रूप है। यह सूर्य की पराबैंगनी किरणों से धरती की रक्षा करती है।

ओझल (सं.) [वि.] 1. दृष्टि की सीमा से बाहर 2. छिपा हुआ 3. गायब।

ओझा (सं.) [सं-पु.] 1. सरयूपारी, मैथिल तथा गुजराती ब्राह्मणों में एक कुलनाम या सरनेम 2. उपाध्याय 3. भूत-प्रेत झाड़ने वाला व्यक्ति; तांत्रिक।

ओझाई [सं-स्त्री.] 1. ओझा का कार्य 2. झाड़-फूँक की क्रिया।

ओझैती [सं-स्त्री.] ओझा का कार्य; (अंधविश्वास) झाड़-फूँक द्वारा भूत, प्रेत, दैवबाधा आदि से मुक्ति दिलाना।

ओट (सं.) [सं-स्त्री.] 1. छिपने की आड़; परदा 2. शरणस्थल; पनाहगाह। [मु.] -में शिकार खेलना : छुप कर वार करना।

ओटना (सं.) [क्रि-स.] 1. कपास के बीजों (बिनौलों) को रुई से अलग करना 2. केवल अपनी ही बात की पुनरावृत्ति करते रहना 3. ओढ़ना; ऊपर लेना।

ओटनी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. कपास के बिनौले को उससे अलग करने के लिए लोहे या लकड़ी से निर्मित उपकरण; बेलनी; चरखी; ओटी।

ओटमील (इं.) [सं-पु.] जौ का आटा या दलिया।

ओटा [सं-पु.] 1. आड़ करने हेतु निर्मित दीवार 2. कपास ओटने का कार्य करने वाला 3. सुनारों का एक औज़ार 4. चक्की के पास निर्मित चबूतरा जिसपर बैठकर चक्की पीसी जाती है 5. ओटला; दरवाज़े के दोनों ओर निर्मित छोटा चबूतरा।

ओटी1 [सं-स्त्री.] दे. ओटनी।

ओटी2 (इं.) [सं-पु.] अस्पतालों में शल्य क्रिया कक्ष; (ऑपरेशन थियेटर का संक्षिप्त रूप)।

ओठ [सं-पु.] ओंठ; ओष्ठ; होंठ; अधर। [मु.] -चबाना : अतिशय क्रोध के कारण होंठों का दाँतों तले दबाना; -चाटना : स्वादिष्ट भोजन के बाद होंठों पर जीभ फेरकर स्वाद लेना; -फड़कना : क्रोधावेश में होंठों का काँपना।

ओड़ [सं-पु.] एक जाति जिसका पारंपरिक कार्य गधे या खच्चर पर मिट्टी, बालू, ईंट आदि लादकर यथास्थान पहुँचाना है।

ओड़चा [सं-पु.] वह बर्तन जिससे खेत का पानी बाहर उलीचते हैं या बाहर का पानी खेत में भरते हैं; ओलचा।

ओड़न [सं-पु.] 1. ओड़ जाति का व्यवसाय; गधे या खच्चर आदि पर माल लाद कर पहुँचाने का पेशा 2. आघात, वार या प्रहार रोकने वाली वस्तु; ढाल।

ओड़व (सं.) [सं-पु.] (संगीत शास्त्र) भारतीय संगीत में वे राग जिनमें सात स्वरों "सा, रे, ग, म, प, ध, नि" में से केवल किन्हीं पाँच स्वरों का ही प्रयोग होता है; औड़व।

ओड़व-षाड़व (सं.) [सं-पु.] (संगीतशास्त्र) भारतीय शास्त्रीय संगीत के ऐसे राग जिनके आरोह में सात में से केवल पाँच और अवरोह में केवल छह स्वर लगते हैं।

ओडिका (सं.) [सं-स्त्री.] भूमि पर बिना बोए उत्पन्न धान; साँवाँ (वन में उत्पन्न धान); नीवार।

ओडिशा [सं-पु.] भारत के पूर्वी तट पर स्थित एक राज्य जिसे पहले उड़ीसा के नाम से जाना जाता था; प्राचीन काल का उत्कल।

ओडिसी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. ओडिशा की एक शास्त्रीय नृत्यशैली जिसका जन्म मंदिरों में देवता के आगे पुजारियों के नृत्य से हुआ।

ओड्र (सं.) [सं-पु.] 1. भारत के एक राज्य ओडिशा का पुराना नाम 2. ओडिशावासी; उड़िया 3. अड़हुल का झाड़ और उसका फूल।

ओढ़ना (सं.) [क्रि-स.] 1. शरीर के अंगों को किसी वस्त्र आदि से आच्छादित करना 2. {ला-अ.} किसी प्रकार का उत्तरदायित्व अपने जिम्मे लेना; अपने सिर लेना 3. पहनना; धारण करना। [सं-पुं.] 1. ओढ़ने की चादर 2. महिलाओं की पोशाक में शरीर के ऊपरी भाग पर पहना जाने वाला वस्त्र; ओढ़नी 3. शरीर ढकने हेतु शरीर के उपर से डाला जाने वाला वस्त्र। [मु.] -उतारना : अपमानित करना। -बिछौना : वह कार्य जिसके बिना व्यक्ति का निर्वाह न हो सके।

ओढ़नी [सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों के ओढ़ने का दुपट्टा 2. स्त्रियों के शरीर के ऊपरी भाग पर ओढ़ी जाने वाली छोटी, हलकी (झीनी) चादर। [मु.] -बदलना : दो स्त्रियों का परस्पर ओढ़नी बदल कर सखियाँ बनाना (मित्रता करना)।

ओढ़ाना [क्रि-स.] 1. किसी के ऊपर वस्त्र (चादर आदि) डालना 2. किसी के चारों ओर वस्त्र लपेटना 3. ढाँकना; ढकवाना। [मु.] ओढ़ूँ कि बिछाऊँ : किस काम में लाऊँ।

ओत (सं.) [सं-पु.] कपड़े की बुनावट में लंबाई में लगा सूत; ताने का सूत; ताना। [वि.] गुँथा हुआ; तार सूत आदि द्वारा बुना हुआ।

ओत-प्रोत (सं.) [वि.] 1. जो ताने-बाने की तरह एक में एक बुना हुआ हो; गुँथा हुआ; मिलकर एक हो चुका 2. लबालब; खूब भरा हुआ।

ओदक (सं.) [सं-पु.] जलीय प्राणी; जल में निवास करने वाला प्राणी।

ओदन (सं.) [सं-पु.] 1. भात; पका हुआ चावल 2. दूध में पकाया हुआ अन्न 3. बादल; मेघ।

ओदनिका (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बला नामक औषधि 2. औषधि निर्माण में प्रयुक्त एक पौधा जिसे बरियारा या बीजबंध कहते हैं।

ओदरना [क्रि-अ.] 1. फट जाना; उखड़ जाना; विदीर्ण होना; चिथड़े-चिथड़े हो जाना 2. गिरना; ढहना।

ओदा (सं.) [वि.] तर; नम; गीला।

ओदारना [क्रि-स.] फाड़ना; विदीर्ण करना; नष्ट-भ्रष्ट करना।

ओधा (सं.) [सं-पु.] 1. मालिक; स्वामी 2. अधिकारी 3. (वल्ल्भ संप्रदाय) मंदिर का पुजारी।

ओनचन [सं-स्त्री.] उनचन; अदवान; खाट में पैताने (पैर की ओर) की रस्सी; (ओरचन) जिसे खींचकर खटिया की बुनावट को ताना जाता है।

ओनचना [क्रि-स.] उनचना; पैताने (पैर की ओर) की रस्सी खींचकर खटिया की बुनावट के ढीलेपन को दूर करना।

ओना [सं-पु.] तालाब आदि से पानी निकलने का रास्ता; जल निकास मार्ग।

ओनामासी (सं.) [सं-स्त्री.] 1. बच्चों के अक्षरारंभ के समय उच्चारण कराए जाने वाले मंत्र 'ॐ नमः सिद्धम' का बिगड़ा हुआ रूप; अक्षर ज्ञान का आरंभ 2. किसी भी कार्य का प्रारंभ; शुरुआत।

ओप [सं-स्त्री.] 1. चमक; कांति; आभा; दीप्ति 2. किसी के मुख की शोभा; सुंदरता 3. वस्त्र आदि की फबन।

ओपना [क्रि-स.] 1. वस्तु में चमक बढ़ाने के लिए उसे माँजना; चमकाना; रगड़ना; पॉलिश करना 2. फबना; पहनने पर अच्छा दिखना। [क्रि-अ.] 1. ओप (चमक) आना 2. चमकना।

ओपनी [सं-स्त्री.] 1. पत्थर का वह टुकड़ा जिससे रगड़कर तलवार को साफ़ किया जाता है या उसमें धार दी जाती है 2. अकीक या यशब पत्थर का वह टुकड़ा जिससे रगड़कर किसी चित्र के सोने या चाँदी के काम को चमकाते हैं।

ओफ़ (अ.) [अव्य.] शारीरिक पीड़ा या मानसिक व्यथा सूचक एक अव्यय।

ओबरी [सं-स्त्री.] सँकरी, तंग कोठरी जिसमें प्रकाश एवं वायु पर्याप्त मात्रा में न आती हो।

ओम1 (सं.) [सं-पु.] प्रणव-मंत्र; ओंकार; मंत्र वाचन के शुरू में तथा वेद पाठ के आरंभ एवं अंत में उच्चारण किया जाने वाला शब्द (ॐ)।

ओम2 (इं.) [सं-पु.] विद्युतधारा प्रतिरोध (रेज़िस्टेंस) मापने का मात्रक।

ओर [सं-पु.] छोर; सिरा। [सं-स्त्री.] 1. तरफ़ 2. दिशा 3. पक्ष। [मु.] -निबाहना : अपने पक्ष या शरण में आए हुए व्यक्ति का पूर्ण सहयोग करना; अंत तक कर्तव्य पूरा करना।

ओरहा [सं-पु.] 1. फलदार चने का हरा पौधा 2. चने का हरा दाना; होरहा 3. आग पर भूनी हुई जौ की बाली 4. मक्के का भुट्टा जिसे आग पर सेक कर खाया जाता है।

ओराँव [सं-पु.] एक जनजाति जो बिहार के चंपारण तथा झारखंड के राँची, पलामू आदि जिलों में पाई जाती है।

ओरियंटल (इं.) [वि.] प्राच्य; पूर्वी; जो पृथ्वी के पूर्व माने जाने वाले भाग अर्थात एशिया से या इसके किसी भाग से संबद्ध हो।

ओरी [सं-स्त्री.] ओलती; फूस या खपरैल के मकान के छाजन या छप्पर का वह स्थल जहाँ से वर्षा का जल नीचे गिरता है।

ओलंभा [सं-पु.] उलाहना; शिकायत; उपालंभ।

ओल [सं-पु.] 1. जिमीकंद; सूरन 2. गोद 3. शरण 4. ओट; आड़। [वि.] गीला; तर।

ओलती [सं-स्त्री.] 1. छप्पर का किनारा जहाँ से वर्षा का पानी नीचे गिरता है 2. ओरी; ओरौती।

ओलना [सं-पु.] 1. परदा; ओट; आड़ 2. भेद गुप्त; बात। [क्रि-स.] 1. ओट या परदा करना 2. ज़िम्मेदारी अपने ऊपर लेना 3. रोकना; ओड़ना 4. सहन करना; वहन करना।

ओला (सं.) [सं-पु.] वातावरणीय स्थितियों के कारण कभी-कभी वर्षा के साथ गिरने वाले बरफ़ के गोल-गोल खंड; उपल।

ओलिंपियड (इं.) [सं-पु.] 1. ओलंपिक खेल समारोह 2. पाठ्य विषयों से संबद्ध कई विश्वस्तरीय प्रतियोगिताएँ, जैसे- साइंस ओलिंपियड।

ओली [सं-स्त्री.] 1. गोद; झोली 2. आँचल; पल्ला।

ओल्ड (इं.) [वि.] 1. पुराना; प्राचीन 2. घिसा हुआ 3. वृद्ध (स्त्री या पुरुष)।

ओवन (इं.) [सं-पु.] 1. एक डिब्बेनुमा बिजली से चलने वाला उपकरण जिसमें खाना पकाते और गरम करते हैं।

ओवर (इं.) [सं-पु.] 1. क्रिकेट के खेल में गेंदबाज़ द्वारा छह बार गेंद फेंकने का कार्य 2. छह बार गेंद डालने का एक समुच्चय।

ओवरकोट (इं.) [सं-पु.] 1. लबादे जैसा बड़े आकार का कोट जो सब वस्त्रों से ऊपर पहनते हैं 2. सर्दियों में पहना जाने वाला कोट।

ओवरटाइम (इं.) [सं-पु.] वह समय जिसमें निर्दिष्ट समय से अतिरिक्त काम किया जाए; नियमित समय से अतिरिक्त कार्यकाल।

ओवरड्राफ़्ट (इं.) [सं-पु.] बैंक के खाते में जमा राशि से अधिक राशि निकालने की क्रिया।

ओवरब्रिज (इं.) [सं-पु.] उपरिगामी सेतु; ऊपरी पुल; सड़क आदि के ऊपर से पुल के रूप में गुज़रती दूसरी सड़क; (फ्लाइओवर)।

ओवरसियर (इं.) [सं-पु.] इमारत आदि के काम का निरीक्षक; जुनियर इंजीनियर।

ओवर सेट (इं.) [सं-पु.] अंक की पूर्ति से अधिक सामग्री का कंपोज़ हो जाना।

ओवरहॉल (इं.) [सं-स्त्री.] 1. किसी मशीन, मशीनी वाहन आदि की विस्तृत जाँच और मरम्मत; उक्त वस्तुओं का संपूर्ण कायाकल्प 2. {ला-अ.} मशीन से इतर वस्तुओं, स्थितियों आदि का विस्तृत विश्लेषण के बाद आमूल सुधार, जैसे- आज की राजनीतिक व्यवस्था को पूरी तरह ऑवरहॉल करना होगा।

ओवरहॉलिंग (इं.) [सं-स्त्री.] यंत्र, मशीन, वाहन आदि की मरम्मत का कार्य।

ओष्ठ (सं.) [सं-पु.] होंठ; ओंठ; लब।

ओष्ठ्य (सं.) [वि.] 1. ओंठ संबंधी 2. ओंठ से उच्चारित होने वाली (ध्वनियाँ), जैसे- प्, फ्, ब्, भ्, म्।

ओस (सं.) [सं-स्त्री.] रात्रि में ठंडी हुई हवा की आर्द्रता या नमी जो जलकणों या छोटी बूँदों के रूप में तल पर जमी हुई दिखाई देती है; शबनम; तुहिन-कण।

ओसाई [सं-स्त्री.] 1. अनाज ओसाने की क्रिया या भाव 2. अनाज ओसाने का पारिश्रमिक।

ओसाना (सं.) [क्रि-स.] अनाज को हवा में उड़ाकर भूसे को अलग करना; बरसाना।

ओसारा (सं.) [सं-पु.] मकानों में निर्मित बरामदा जो आँगन में या घर के बाहर खुलता हो; दालान; सायबान।

ओह (सं.) [अव्य.] आश्चर्य, कष्ट, दुख, पश्चाताप, संताप आदि का सूचक शब्द।

ओहदा (अ.) [सं-पु.] पद; पदवी।

ओहदेदार (अ.+फ़ा.) [सं-पु.] किसी ओहदे या पद पर नियुक्त व्यक्ति; अपेक्षाकृत किसी अच्छे ओहदे या पद पर काम करने वाला पदाधिकारी।

ओहार (सं.) [सं-पु.] 1. वह कपड़ा जिससे पालकी रथ आदि ढके जाते हैं 2. किसी वस्तु आदि को ढकने के उपयोग में आने वाला वस्त्र।

ओहो (सं.) [अव्य.] आश्चर्य या प्रसन्नता का सूचक शब्द।


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