ढ
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह पश्च-वर्त्स्य उलटित, सघोष, महाप्राण स्पर्श है।
ढ़
उच्चारण की दृष्टि से यह पश्च-वर्त्स्य उलटित, महाप्राण उत्क्षिप्त है।
ढंग
(सं.) [सं-पु.] 1. तरीका; सलीका; विधि 2. आचरण; चाल-ढाल 3. शैली; प्रकार; रीति किस्म।
ढंगी
[वि.] 1. चतुर 2. धूर्त 3. ढोंगी।
ढकना1
[सं-पु.] 1. ढक्कन 2. बरतन के मुँह को ढकने की वस्तु।
ढकना2
(सं.) [क्रि-स.] 1. छिपाना; किसी वस्तु को ओट में करना 2. आच्छादित करना। [क्रि-अ.] 1. छिपना 2. आच्छादित होना 3. किसी वस्तु का दिखाई न पड़ना; ओट में होना।
ढकनी
[सं-स्त्री.] ढाँकने की छोटी वस्तु; छोटा ढक्कन; कसोरा।
ढका
(सं.) [सं-पु.] 1. पूर्व में प्रचलित तीन सेर की एक तौल 2. उक्त तौल का बटखरा या वजन 3. धक्का।
ढकेलना
[क्रि-स.] 1. धक्के से आगे बढ़ाना; धकेलना; धक्का देना; ठेलना 2. गिराना; लुढ़काना 3. बढ़ाना 4. बाहर करना।
ढकोसना
[क्रि-स.] 1. जल्दी-जल्दी खाना या पीना; गटकना; गपकना 2. बहुत अधिक खाना या पीना; भकोसना 3. हड़पना 4. निगलना।
ढकोसला
[सं-पु.] 1. लोगों को धोखा देने का आयोजन; ढोंग 2. किसी उद्देश्य या स्वार्थ के लिए बनाया गया आडंबर; झूठा रूप 3. दिखावा; पाखंड 4. कपट 5. भ्रांति; धोखा।
ढकोसलेबाज़
(हिं.+फ़ा.) [वि.] 1. ढकोसला या ढोंग करने वाला 2. अंधविश्वासी; प्रपंची 3. कर्मकांडी।
ढकोसलेबाज़ी
(हिं.+फ़ा.) [सं-स्त्री.] 1. पाखंड; ढोंग; आडंबर; प्रपंच 2. वह आचरण या काम आदि जिसमें ऊपरी बनावट का भाव रहता है।
ढक्कन
[सं-पु.] 1. ढकने की वस्तु; ढकना 2. वह वस्तु जिसको ऊपर डालने या रखने से कोई चीज़ दिखाई न पड़े 3. किसी व्यक्ति को चिढ़ाने, तुच्छ या मूर्ख सिद्ध करने के लिए
कहा जाने वाला शब्द।
ढक्कनदार
(हिं.+फ़ा.) [वि.] जिसपर ढक्कन लगा हो; ढक्कनवाला।
ढक्का
(सं.) [सं-पु.] 1. बड़ी डुग्गी; बड़ा ढोल 2. छिपाव 3. लोप।
ढचर
[सं-पु.] 1. बखेड़ा; झंझट 2. ढकोसला; आडंबर 3. किसी वस्तु का आरंभिक ढाँचा; किसी योजना का प्रारूप।
ढट्ठा
(पं.) [सं-पु.] दाढ़ी बाँधने की पट्टी।
ढड्ढा
[सं-पु.] 1. बाँस आदि का ढाँचा जिसपर खड़े होकर राजमिस्त्री काम करते हैं 2. दिखावटी; अतिशयोक्तिपूर्ण 3. आडंबर। [वि.] अनावश्यक विस्तारवाला।
ढनमनाना
[क्रि-अ.] चक्कर खाकर गिरना; लुढ़कना।
ढपना
[सं-पु.] ढक्कन। [क्रि-अ.] छिपा होना; ढका होना। [क्रि-स.] 1. छिपाना; ढाकना 2. ऊपर से ओढ़ाना।
ढपली
[सं-स्त्री.] डफली।
ढपोरशंख
[सं-पु.] 1. डींग हाँकने वाला 2. मूर्ख; बेवकूफ़।
ढब
(सं.) [सं-पु.] 1. ढंग; तौर-तरीका; रीति 2. कार्य-प्रणाली; कोई कार्य करने की विशेष प्रक्रिया 3. आदत; आचरण; बान 4. उद्देश्य पूरा करने का साधन; युक्ति; उपाय;
तदबीर 5. तरह; प्रकार; किस्म 6. स्वभाव; प्रकृति 7. गढ़न; रचना-प्रकार; बनावट।
ढमक
[सं-स्त्री.] ढम-ढम की ध्वनि या शब्द।
ढमकना
[क्रि-अ.] ढम-ढम की ध्वनि होना।
ढम-ढम
[सं-पु.] ढोल अथवा नगाड़े की आवाज़।
ढयना
[क्रि-अ.] 1. ढहना; पतन होना 2. भुरभुराना; अर्राना 3. गिरना 4. गिर पड़ना; बैठना।
ढरक
[सं-स्त्री.] 1. ढरकने की क्रिया या भाव 2. किसी पर की जाने वाली दया; दयालुता 3. किसी वस्तु या तरल पदार्थ का गिरना।
ढरकना
[क्रि-अ.] 1. बह जाना; ढुलकना 2. द्रव पदार्थ का झटके से गिर जाना 3. छीजना।
ढरका
[सं-पु.] बाँस की नली जिससे पशुओं को दवा पिलाते हैं; नलवा; ढरकी।
ढरकाना
[क्रि-स.] 1. पानी या किसी तरल पदार्थ को पात्र से गिराना या बहाना 2. गिराकर बहाना; ढलकाना।
ढरकी
[सं-स्त्री.] जुलाहों का करघे पर काम करने का एक नौकाकार औज़ार जिससे बाने का सूत ताने के इधर-उधर फेंकते हैं और इससे बाना भरा जाता है; भरनी।
ढर्रा
[सं-पु.] 1. किसी काम को करने का बँधा हुआ तरीका, शैली, पद्धति या ढंग 2. मार्ग; रास्ता 3. आचरण की पद्धति; चाल-चलन 4. उपाय; युक्ति 5. आदत; स्वभाव; (रुटीन)।
ढलकना
[क्रि-अ.] 1. पानी या किसी तरल का अपने पात्र से नीचे गिरना; लुढ़कना 2. ढलना; नीचे की ओर जाना 3. बीतना; समाप्ति की ओर जाना 4. साँचे में आना 5. {ला-अ.} किसी
पर अनुरक्त होना; कृपालु होना 6. हिलना।
ढलकाना
[क्रि-स.] 1. ढलकने में प्रवृत्त करना 2. पानी या किसी तरल पदार्थ को उड़ेलना या लुढ़काना।
ढलना
[क्रि-अ.] 1. किसी तरल पदार्थ का नीचे की तरफ़ जाना; बहना; लुढ़कना 2. बीत जाना; अंत की ओर जाना; उतार पर होना, जैसे- सूरज ढलना, यौवन ढलना 3. चँवर का इधर-उधर
हिलाया जाना 4. द्रवित होना; उड़ेला या लुढ़काया जाना 5. साँचे में ढाला जाना 6. दिन, उम्र, ऐश्वर्य, प्रभुत्व आदि का पतनोन्मुख या उतार पर होना 7. पिघलना।
ढलमल
[वि.] 1. शिथिल; श्रांत 2. ढुलमुल; अस्थिर 3. चंचल; इधर-उधर होने वाला।
ढलवाँ
[वि.] 1. जिसमें ढाल या उतार हो; ढलानदार, जैसे- ढलवाँ चट्टान 2. जो पिघले हुए पदार्थ या धातु के साँचे में ढालकर बनाया गया हो, जैसे- ढलवाँ उपकरण।
ढलवाना
[क्रि-स.] 1. ढालने का काम कराना 2. पानी आदि तरल को नीचे की ओर उड़ेलवाना 3. साँचे में ढालकर कोई वस्तु बनवाना।
ढलाई
[सं-स्त्री.] 1. ढालने की क्रिया या भाव 2. साँचे में ढालकर बरतन या मूर्ति आदि बनाने का कार्य 3. ढालने की मज़दूरी।
ढलाईकार
[सं-पु.] ढालने का काम करने वाला।
ढलान
[सं-स्त्री.] 1. वह ज़मीन जिसमें ऊपर से नीचे की ओर उतार हो; ढालू भूमि 2. अवरोह; उतराई 3. झुकावदार 4. ढालने की क्रिया या भाव।
ढलाना
[क्रि-स.] किसी को ढालने में प्रवृत्त करना; ढलवाना; ढालने का काम कराना।
ढलाव
[सं-पु.] 1. ढाल; उतार; ढलान 2. वह जगह जो क्रमशः नीची होती चली गई हो 3. नति।
ढलुआँ
[वि.] 1. जिसमें ढाल हो; ढलानदार; ढालू 2. (वस्तु) जो साँचे में ढालकर बनाई गई हो।
ढलैत
[सं-पु.] ढाल रखने वाला सिपाही, रक्षक या व्यक्ति।
ढलैया
[सं-पु.] धातु आदि को ढालने वाला कारीगर; ढलाईकर्मी; ढालने वाला व्यक्ति।
ढहना
[क्रि-अ.] 1. इमारत या मकान आदि का गिरना; ध्वस्त होना 2. टुकड़ों में नीचे गिर पड़ना; मिट जाना 3. ढूह होना; नष्ट होना; नीचे आना 4. भहराना; टूटना; उजड़ना।
ढहवाना
[क्रि-स.] 1. इमारत या मकान गिराने का काम किसी अन्य से करवाना; गिरवाना 2. ढहाने का काम करवाना।
ढहाना
[क्रि-स.] 1. ढहाने का काम कराना 2. गिराना; ध्वस्त करना 3. ज़मीन में मिलाना 4. मटियामेट करना।
ढाँकना
[क्रि-स.] 1. किसी वस्तु पर ढक्कन लगाना; ढकना 2. किसी वस्तु को कपड़ा या कोई आवरण आदि डालकर ओट में करना; ओढ़ाना; कोई चीज़ ऊपर से डालकर छिपाना।
ढाँचा
(सं.) [सं-पु.] 1. कोई चीज़ बनाने के पहले निर्मित रूपरेखा, जैसे- मकान, कुरसी आदि का ढाँचा 2. ऐसी रचना या आकार जिसके बीच में कोई वस्तु जमाई या लगाई जा सके;
(फ्रेम) 3. पिंजर; ठठरी; कंकाल।
ढाँपना
[क्रि-स.] 1. किसी वस्तु पर ढक्कन लगाना; ढकना 2. किसी वस्तु को कपड़ा या कोई आवरण आदि डालकर ओट में करना 3. कोई चीज़ ऊपर से डालकर छिपाना; ढाँकना।
ढाँसना
[क्रि-अ.] 1. सूखी खाँसी होना 2. पशुओं का खाँसना।
ढाँसी
[सं-स्त्री.] सूखी खाँसी।
ढाई
(सं.) [वि.] दो और एक का आधा भाग। [सं-पु.] ढाई की संख्या; (2.5)। [मु.] -दिन की बादशाहत : कुछ दिनों की मौज; विवाह के समय के 2-3 दिन।
ढाक
(सं.) [सं-पु.] 1. पलाश का वृक्ष जिसके पत्तों से पत्तल बनाई जाती है 2. कुश्ती की एक पेंच 3. लड़ाई में बजने वाला बड़ा ढोल। [मु.] -के तीन पात : हमेशा एक जैसी और अभावग्रस्त दशा।
ढाका
(सं.) [सं-पु.] 1. उच्च गुणवत्ता के मलमल और सूती कपड़ों के लिए प्रसिद्ध बंगाल का एक पुराना नगर; वर्तमान में बांग्लादेश की राजधानी 2. बड़ा ढोल।
ढाटा
[सं-पु.] 1. कपड़े की पट्टी जिससे दाढ़ी बाँधी जाती है 2. वह साफ़ा जिसका एक फेंट दाढ़ी और गाल से होता हुआ जाता है।
ढाड़स
(सं.) [सं-पु.] दे. ढाढस।
ढाढ़
[सं-स्त्री.] 1. चीत्कार; चीख 2. दहाड़ 3. चिंघाड़। [मु.] -मारना : ख़ूब ज़ोर से चीत्कार करके रोना।
ढाढस
(सं.) [सं-पु.] 1. आश्वासन; दिलासा; सांत्वना; तसल्ली 2. धैर्य; विपत्ति में मन या चित्त की स्थिरता; धीरज 3. साहस; हिम्मत। [मु.] -बँधाना :
किसी को दुख आदि में दिलासा देना।
ढाढ़ी
[सं-पु.] 1. यहाँ-वहाँ भ्रमण करते हुए गाने-बजाने वाली एक यायावर जाति जो जन्मोत्सव के अवसर पर लोगों के यहाँ जाकर बधाई गीत गाती है 2. मुसलमान गवैयों का एक
वर्ग या समुदाय।
ढाना
[क्रि-स.] दे. ढहाना।
ढाबा
[सं-पु.] 1. वह स्थान जहाँ लोग पैसे देकर भोजन करते हैं; सामान्य स्तर का भोजनालय; छोटा होटल 2. विशेष रूप से महामार्गों पर स्थित पंजाबी शैली का वह भोजनालय
जहाँ के भोजन में घर के भोजन जैसा स्वाद होता है।
ढामक
[सं-पु.] 1. ढोल; नगाड़ा 2. डंके की चोट से उत्पन्न ढोल-नगाड़े की ध्वनि 3. मिट्टी और बाँस की कच्ची छत।
ढामरा
(सं.) [सं-स्त्री.] हंस की मादा; हंसिनी।
ढाल1
(सं.) [सं-स्त्री.] 1. तलवार, भाला या किसी अन्य धारदार हथियार के प्रहार को रोकने के लिए गैंडे की चमड़ी या लोहे का बना प्रसिद्ध उपकरण; चर्म फलक 2. बचाव का
उपाय।
ढाल2
[सं-स्त्री.] 1. आगे की ओर बराबर नीची या ढलवाँ होती गई भूमि या स्थान; उतार 2. अधोप्रवाह; ढलान 3. आड़ 4. तौर-तरीका; ढंग; प्रकार।
ढालना
(सं.) [क्रि-स.] 1. पानी या किसी तरल पदार्थ को गिराना; उड़ेलना 2. किसी पिघली हुई धातु को साँचे में ढालकर कोई आकार देना, जैसे- खिलौने ढालना।
ढालू
[वि.] ढलवाँ।
ढासना
(सं.) [सं-पु.] 1. बैठने पर पीठ का सहारा देने वाली वस्तु; तकिया; टेक; सहारा 2. आधार या सहारे की वस्तु।
ढिंढोरना
[क्रि-स.] 1. ढूँढ़ना; तलाश करना; पता करना 2. बिलोना; विलोड़न; मथने की क्रिया।
ढिंढोरा
[सं-पु.] 1. वह ढोल जिसे बजाकर किसी बात की सूचना दी जाती है; डुगडुगी; डौंड़ी 2. ढिंढोरा या डुग्गी पीटकर दी जाने वाली सूचना या जानकारी 3. घोषणा; मुनादी।
ढिठाई
[सं-स्त्री.] 1. किसी व्यक्ति द्वारा की जाने वाली उद्दंडता; धृष्टता; चपलता 2. व्यर्थ का बुरा या अनुचित साहस; गुस्ताख़ी; अवज्ञा; दुस्साहस 3. ढीठ होने की
अवस्था या भाव।
ढिपुनी
[सं-स्त्री.] 1. फल या पत्ती का टहनी से जुड़ा हुआ गोल छेद जैसा भाग; उभरी हुई घुंडी 2. स्तन का अग्रभाग; चूचुक; (निपल)।
ढिबरी
[सं-स्त्री.] 1. काँच, टीन व मिट्टी से बना बंद छोटा पात्र जिसमें मिट्टी का तेल भरकर तथा ढक्कन में तागे या सूती कपड़े की बत्ती डालकर प्रकाश करने के लिए जलाया
जाता है 2. एक चूड़ीदार छल्ला जो पेंच को हिलने-डुलने से रोकता है।
ढिलाई
[सं-स्त्री.] 1. ढीला होने की अवस्था या भाव 2. ढीला करने का काम 3. काम में किया गया ढीलापन, सुस्ती या आलस्य 4. कार्य गति की शिथिलता; मंदी 5. छूट 6.
लापरवाही।
ढिलाना
[क्रि-स.] 1. ढीला कराना 2. बंधन से छुड़ाना।
ढीठ
(सं.) [वि.] 1. जो धृष्टता करता हो; बेअदब 2. बड़े-बुज़ुर्गों का आदर न करने वाला 3. संकोच न करने वाला; निर्लज्ज 4. अशिष्ट; अक्खड़ 5. साहसी; निडर; निर्भय 6.
हठीला; दुराग्रही 7. स्वेच्छाचारी।
ढील
[सं-स्त्री.] 1. ढीलने की क्रिया या भाव; बंधन को ढीला करने की स्थिति 2. शिथिलता; ढिलाई 3. उत्साहहीनता; सुस्ती 4. व्यवहार संबंधी छूट या स्वतंत्रता 5. व्यर्थ
का विलंब या देरी 6. छुट्टी; फुरसत 7. सिर के बालों में पड़ने वाला जूँ।
ढीलना
[क्रि-स.] 1. ढीला करना; कसा या तना हुआ न रखना 2. किसी डोर या रस्सी की लंबाई बढ़ाना; तान को ढीली करना 3. बंधनमुक्त करना; छोड़ देना 4. किसी गाढ़ी चीज़ को
पतला करना 5. नियंत्रण मुक्त करना; थोड़ी आज़ादी या छूट देना।
ढीला
(सं.) [वि.] 1. जिसमें कसाव या तनाव न हो 2. जो खींचा हुआ न हो 3. जो कसकर बँधा न हो; जो जकड़ा न हो 4. जो हठ पर न अड़ा रहता हो 5. जो कड़ा न हो 6. धीमा; मंद 7.
नरम; शांत 8. {ला-अ.} आलसी; काहिल; सुस्त; तंद्रिल 9. जो कसकर पकड़े हुए न हो 10. जिसमें यौन उत्तेजना या काम का वेग कम हो 11. जो अपने वचन या संकल्प पर टिका न
रहे 12. जो चौकन्ना या मुस्तैद न हो 13. शिथिल; श्लथ; लस्त-पस्त 14. दायित्वहीन 15. कुप्रबंधित।
ढीला-ढाला
[वि.] 1. जो कसा या जकड़ा हुआ न हो 2. जो बहुत गाढ़ा न हो; पतला (तरल पदार्थ) 3. जो चुस्त या सही माप का न हो, जैसे- ढीला-ढाला कुरता 4. मंद 5. आलसी; लस्त-पस्त।
ढीलापन
[वि.] 1. ढीला होने का भाव 2. शिथिलता; सुस्ती 3. नरमी 4. पतलापन।
ढुँढ़वाना
[क्रि-स.] ढूँढ़ने का काम कराना; तलाश कराना; पता लगवाना; खोजवाना।
ढुँढ़ाई
[सं-स्त्री.] ढूँढ़ने का काम; तलाश; खोज।
ढुकना
[क्रि-अ.] 1. ढुकने या प्रविष्ट होने की क्रिया या भाव; घुसना; प्रवेश करना 2. किसी की बात सुनने या रंग-ढंग देखने के लिए आड़ में छिप कर बैठना 3. अचानक धावा
बोलना 4. किसी के समीप तक पहुँचना।
ढुकाना
[क्रि-स.] ढुकने के लिए किसी को प्रवृत्त करना; घुसाना या प्रवेश कराना।
ढुरना
[क्रि-अ.] 1. नीचे की ओर प्रवृत्त होना 2. लुढ़कना 3. अनुकूल या प्रसन्न होना 4. कभी इधर और कभी उधर गिरना; झुकना 5. ढलकना।
ढुलकना
[क्रि-अ.] 1. नीचे की तरफ़ बहना 2. उलटते-पलटते हुए नीचे गिरना; लुढ़कना 3. {ला-अ.} किसी पर प्रसन्न होना।
ढुलकाना
[क्रि-स.] 1. नीचे की ओर बहाना या गिराना 2. बिखराना 3. उड़ेलना; लुढ़काना।
ढुलढुल
[वि.] 1. टिका न रहने वाला; अस्थिर 2. लुढ़कने वाला 3. इधर-उधर डोलने वाला 4. जो अवसरवादी हो।
ढुलना
[क्रि-अ.] 1. ढुलकना; ढरकना; ढुरना 2. ढोया जाना 3. गिरकर नीचे की ओर बहना; फिसलना 4. इधर-उधर डोलना 5. प्रवृत्त होना 6. किसी की ओर झुकना 7. प्रसन्न होना;
अनुकूल होना।
ढुलमुल
[वि.] 1. अस्थिर; जिसमें दृढ़ता न हो 2. दलबदलू 3. विचलनशील।
ढुलमुलची
[वि.] ढुलमुल विचारों वाला; जो वैचारिक दृढ़ता या निश्चय के अभाव में किसी बात के लिए दोनों पक्षों में से कभी एक ओर और कभी दूसरी ओर प्रवृत्त होता हो;
अवसरवादी।
ढुलवाई
[सं-स्त्री.] ढोने की मज़दूरी; भाड़ा; ढुलाई।
ढुलवाना
[क्रि-स.] 1. ढोने का काम कराना 2. बोझ लदवाकर कहीं पहुँचाना; ढुलाना।
ढुलाई
[सं-स्त्री.] दे. ढुलवाई।
ढुलाना
[क्रि-स.] 1. ढोने का काम कराना 2. ढुलवाना।
ढूँढ़ना
[क्रि-स.] किसी वस्तु या व्यक्ति का पता लगाना; तलाश करना; खोजना।
ढूह
[सं-पु.] ढेर; टीला; भीटा; अटाला; मिट्टी का छोटा टीला।
ढेंक
(सं.) [सं-स्त्री.] पानी के किनारे रहने वाली एक चिड़िया जिसकी गरदन और चोंच लंबी होती है।
ढेंकली
[सं-स्त्री.] धान कूटने का एक उपकरण।
ढेंका
[सं-पु.] 1. कोल्हू में वह बाँस जो जाट के सिरे से कतरी तक लगा रहता है 2. बड़ी ढेंकी।
ढेंकी
[सं-स्त्री.] 1. धान कूटने का एक यंत्र 2. एक प्रकार का नृत्य।
ढेंकुली
[सं-स्त्री.] 1. सिंचाई के लिए कुएँ से पानी निकालने का यंत्र जिसमें एक तरफ़ रस्सी से बालटी या डोल बँधा रहता है और दूसरी तरफ़ पत्थर बँधा रहता है; ढेंकी 2.
पैर से चलाया जाने वाला धान कूटने का यंत्र 3. अर्क निकालने का यंत्र 4. सिर के बल उलटा होने की क्रिया 5. जोड़ की लकीर से आड़ी की जाने वाली एक प्रकार की
सिलाई।
ढेंढर
[सं-पु.] एक नेत्ररोग जिसमें पुतली के ऊपर मांस उभर आता है या सफ़ेद दाग-सा पड़ जाता है; टेंटर।
ढेंप
[सं-स्त्री.] 1. फल या पत्ती के छोर का वह भाग जिससे वह पेड़ की टहनी से लगा रहता है; ढिपनी 2. स्तन का चूचुक; कुचाग्र।
ढेंपी
[सं-स्त्री.] 1. स्त्रियों के स्तन का अगला भाग; कुचाग्र; (निपल) 2. चुचुक; मादा पशुओं के स्तन का अग्र भाग जिससे दूध निकलता है; ढेपनी।
ढेकुली
[सं-स्त्री.] दे. ढेंकुली।
ढेढ़ी
[सं-स्त्री.] 1. सेमल; कपास; पोस्ते आदि का डोंड़ा 2. ढेर; समूह।
ढेपनी
[सं-स्त्री.] 1. ढेप; किसी फल या पत्ते का वह भाग जिससे वह टहनी से जुड़ा रहता है 2. स्तन का अग्रभाग 3. मादा पशुओं का चूचुक।
ढेर
[सं-पु.] 1. एक स्थान पर नीचे-ऊपर रखी हुई बहुत-सी वस्तुओं का ऊँचा समूह; राशि; अटाला 2. अंबार; गंज 3. पुंज; टाल। [वि.] बहुत सारा; ज़्यादा; अधिक।
ढेरा
[सं-पु.] 1. सुतली बटने का लकड़ी का उपकरण 2. एक प्रकार का वृक्ष। [वि.] जिसकी आँखों की पुतलियाँ देखते समय बराबर न रहती हों; भैंगा।
ढेरी
[सं-स्त्री.] 1. ढेर; राशि; हुंड 2. इकट्ठा किया हुआ अनाज 3. बँटी हुई जायदाद का हिस्सा।
ढेलवाँस
[सं-पु.] ढेला फेंकने वाली जाली लगी रस्सी जिसमें ढेला या कंकड़-पत्थर रखकर रस्सी के दोनों सिरों को पकड़कर घुमाते हैं और फिर एक सिरे को छोड़ देते हैं जिससे
कंकड़-पत्थर दूर जाकर आवाज़ करते हुए गिरते हैं; गोफना।
ढेला
(सं.) [सं-पु.] 1. मिट्टी या ईंट का छोटा टुकड़ा; चक्का 2. खंड; डला, जैसे- नमक का ढेला।
ढेवा
[सं-पु.] 1. एक बार या एक खेप में ढोया जाने वाला बोझ 2. ईंट की कच्ची जुड़ाई में प्रयुक्त गीली मिट्टी।
ढैंचा
[सं-पु.] एक क्षुप या पेड़ जिसकी छाल से रस्सी बनाई जाती है और जिसका हरी खाद बनाने में प्रयोग होता है; जयंती।
ढैया
[सं-पु.] 1. ढाई गुणा का पहाड़ा 2. ढाई सेर वज़न मापने का बटखरा।
ढोंका
[सं-पु.] 1. अनगढ़ विशाल प्रस्तर खंड 2. बड़ा डला।
ढोंग
[सं-पु.] 1. किसी को छलने या धोखा देने के लिए किया जाने वाला प्रपंच; आडंबर; पाखंड; ढकोसला 2. धूर्तता; छल।
ढोंगी
[वि.] 1. ढोंग करने वाला; झूठा आडंबर करने वाला; धोखा देने वाला 2. लोगों को भ्रमित कर अपना स्वार्थ सिद्ध करने वाला; पाखंडी 3. धूर्त; छलिया।
ढोंढ़
(सं.) [सं-पु.] 1. कली 2. सेमल; कपास; पोस्ते आदि का डोंड़ा।
ढोंढ़ी
[सं-स्त्री.] 1. नाभि; धुन्नी 2. कली; डोंड़ी।
ढोना
(सं.) [क्रि-स.] 1. भार या बोझ को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना; ढुलाई करना 2. सिर या पीठ पर किसी वस्तु को एक जगह से दूसरी जगह पर पहुँचाना; वहन करना 3.
{ला-अ.} विपत्ति या संकट में जीवन गुज़ारना; दिन बिताना; अभाव में निर्वाह करना।
ढोर
[सं-पु.] 1. पशु; डाँगर; चौपाया; जानवर; मवेशी, जैसे- गाय, भैंस आदि पालतू पशु 2. अंग संचालन; अदा।
ढोरा
[सं-पु.] 1. गाय, बैल, भैंस आदि पशु; चौपाया जानवर 2. मवेशी।
ढोल
(सं.) [सं-पु.] एक तरह का लंबोतरा बाजा जिसके दोनों ओर चमड़ा मढ़ा होता है; बड़ी ढोलक; मृदंग।
ढोलक
(सं.) [सं-स्त्री.] छोटा ढोल; ढोलकी।
ढोलकिया
[सं-पु.] ढोलक बजाने वाला व्यक्ति; ढोलची; ढोलवादक। [सं-स्त्री.] छोटा ढोल।
ढोलकी
[सं-स्त्री.] छोटा ढोल; ढोलक।
ढोलना
[सं-पु.] 1. ढोल के आकार का छोटा जंतर 2. पालना 3. वर; दूल्हा 4. पति; प्रियतम।
ढोलनी
[सं-स्त्री.] छोटे आकार का पालना।
ढोला1
[सं-पु.] 1. सड़ी हुई वनस्पतियों, फलों आदि में पड़ने वाला एक तरह का सफ़ेद छोटा कीड़ा 2. हद या सीमा का निशान।
ढोला2
(सं.) [सं-पु.] 1. वर; दूल्हा 2. पति 3. प्रियतम 4. विवाह के समय गाए जाने वाले एक प्रकार के गीत 5. कलवाहा वंश के राजा नल के पुत्र का नाम, जिसका प्रेम पूगल के
राजा पिंगल की कन्या मारू (मारवणी) से हुआ था, इन दोनों की प्रेमगाथा अति प्रसिद्ध है।
ढोली
[सं-स्त्री.] 1. दो सौ पान के पत्तों की गड्डी या बंडल 2. परिहास; हँसी; मज़ाक; दिल्लगी।
ढोवा
[सं-पु.] 1. ढोने की क्रिया या भाव; ढुलाई 2. माल ढोने वाला व्यक्ति 3. दूसरों का माल या संपत्ति अनुचित रूप से उठाकर ले जाना; लूट।
ढौंचा
[सं-पु.] साढ़े चार गुना करते हुए पढ़ा जाने वाला पहाड़ा।
ण
हिंदी वर्णमाला का व्यंजन वर्ण। उच्चारण की दृष्टि से यह पश्च-वर्त्स्य उलटित, सघोष नासिक्य है। व्यंजन वर्ण का पंद्रहवाँ और 'ट' वर्ग का अंतिम अक्षर या वर्ण।
इसका उच्चारण मूर्धन्य, अनुनासिक, अल्पप्राण तथा सघोष है।