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					यह बुढ़ियाउम्र के उस पद पर पहुँच गई है
 जहाँ से शाप सकती है दुख को
 सुख को कर सकती है याद
 पत्थर और पानी पहचान सकती है
 
 उम्र के इस आसन से व्ह
 इंद्र को शाप सकती है
 सूर्य को शाप सकती है
 शाप सकती है
 मन्त्री, संतरी और राजा को
 रंक को कर सकती है प्यार।
 
 यहाँ से यह बुढ़िया
 कुछ भी कह सकती है
 पाप को पुण्य
 और पुण्य को पुण्य।
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