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लोककथा

उसने कहा

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


एक बार जब मै किसी अपने को दफना रहा था, कब्र खोदने वाला मेरे पास आया और बोला, "दफन करने के लिए जितने भी लोग यहाँ आते हैं, उनमें सिर्फ तुम हो, जो मुझे भाते हो।"

मैंने कहा, "यह कहकर तुमने मेरी तबियत खुश कर दी। लेकिन मैं तुम्हें भाता क्यों हूँ?"

"इसलिए कि… " उसने कहा, "दूसरे सभी लोग रोते हुए आते हैं और रोते हुए ही वापस जाते हैं। केवल तुम हो, जो हँसते हुए आते हो और हँसते हुए ही जाते हो।"


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