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लोककथा

ओछे लोग

खलील जिब्रान


बेशारे नगर में एक सुन्दर राजकुमार रहता था। सभी लोग उसे बहुत प्यार और सम्मान देते थे।

लेकिन एक बहुत ही गरीब आदमी था जो राजकुमार को बिल्कुल भी नही चाहता था। वह उसके खिलाफ हमेशा ज़हर ही उगलता रहता था।

राजकुमार को यह बात पता थी, लेकिन वह चुप रहा।

उसने इस पर गहराई से विचार किया। एक ठिठुरती रात में उसके दरवाज़े पर उसका एक सेवक एक बोरी आटा, साबुन और शक्कर लेकर जा पहुँचा। उसने उस आदमी से कहा, "राजकुमार ने ये चीजें तोहफे में भेजी हैं।"

आदमी बकबक करने लगा। उसने सोचा कि ये उपहार राजकुमार ने उसे खुश करने के लिए भेजे हैं। इस अभिमान में वह बिशप के पास गया और राजकुमार की सारी करतूत उसे बताते हुए बोला, "देख रहे हो न, राजकुमार किस तरीके से मेरा दिल जीतना चाहता है?"

बिशप ने कहा, "ओह, राजकुमार कितना चतुर है और तुम कितनी ओछी बुद्धि के आदमी हो। उसने इशारों में तुमसे बात की है। आटा तुम्हारे खाली पेट के वास्ते है। साबुन तुम्हारे भीतर छिपी बैठी गन्दगी को साफ करने के लिए। और चीनी, तुम्हारी कड़वी जुबान में मिठास लाने के लिए।"

उस दिन के बाद वह आदमी अपने-आप से भी लज्जित रहने लगा। राजकुमार के बारे में उसकी घृणा पहले से कहीं ज्यादा बढ़ गई। उससे भी अधिक घृणा उसे बिशप से हो गई, जिसने राजकुमार की प्रशंसा उसके सामने की थी।

लेकिन उस दिन के बाद उसने मौन धारण कर लिया।


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