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लोककथा

ईश्वर की तलाश

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


दो लोग घाटी में घूम रहे थे। एक आदमी पहाड़ों की ओर इशारा करके बोला, "उस कुटी को देख रहे हो? वहाँ एक ऐसा आदमी रहता है जिसने वर्षों पहले संसार को त्याग दिया था। वह ईश्वर की खोज में है। उतरकर कभी भी नीचे नहीं आता।"

दूसरे आदमी ने कहा, "जब तक वह अपनी कुटिया और उसके एकान्त को छोड़कर हमारे दु:ख-दर्दों में, हमारी खुशियों में हिस्सा बँटाने, शवों से लिपटकर रोते-बिलखते लोगों के साथ रोने के लिए संसार में नहीं लौटेगा, उसे ईश्वर नहीं मिलेगा।"

उसके तर्क से सहमत पहले ने उससे कहा, "तुमने जो कुछ भी कहा, मैं सहमत हूँ। लेकिन मुझे यकीन है कि तपस्वी अच्छा आदमी है। क्या यह अच्छी बात नहीं है कि एक अच्छा इन्सान हमारे बीच से गैर-हाजिर रहकर इन बहुत-से अच्छे दिखने वाले लोगों की तुलना में बेहतर काम कर जाता है?"


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