hindisamay head


अ+ अ-

लोककथा

लोग

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


हममें से कुछ लोग कागज की और कुछ लोग स्याही की तरह हैं।

क्योंकि हममें से कुछ में अगर कालिमा न होती तो दूसरे कुछ लोग गूँगे हो गए होते।

और कुछ में अगर धवलता न होती तो दूसरे कुछ लोग अन्धे हो गये होते।


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ