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लोककथा

पूँजीवादी

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


अगर मुँह में कौर भरा हो तो आप गा कैसे सकते हैं?

और आपके हाथ आशीर्वाद में कैसे उठ सकते हैं अगर मुट्ठी में सोना दबा हो?


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हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ