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लोककथा

हताशा

खलील जिब्रान

अनुवाद - बलराम अग्रवाल


मुझे शेर का निवाला बना दे हे ईश्वर! या फिर एक खरगोश मेरे पेट के लिए दे दे।


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हिंदी समय में खलील जिब्रान की रचनाएँ