मेरे हर काम की धज्जियाँ उड़ाने के लिए एक बलवान आदमी मेरे पीछे लगा रहता था। मैं निराश हो कर बैठ जाता कि 'मेरी अपनी कल्पना' के महात्मा ने मुझसे कहा तुम्हारे माथे पर कुछ करने की लकीरें हैं इसलिए शैतान से तुम्हारा वास्ता पड़ता है।
हिंदी समय में रामदेव धुरंधर की रचनाएँ