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					जैसे सब बीतता हैवैसे बीत गई
 एक शब्द उठा
 रंगीन फव्वारों पर
 रखे बैलून की तरह
 रात आते-आते
 मशीन बंद हो गई
 न रंग है, न फव्वारा
 न वह बैलून
 
					होली मिठाइयाँ और गुझियों केपच गए अवसाद के स्वाद की तरह
 खत्म हो गई।
 मिल आए लोग जिनसे मिलना था
 मिल लिए लोग जो मिलने आए थे।
 समय के माथे पर
 लगा अबीर झर गया
 होली बीत गई।
 एस.एम.एस. पद लिखे गए
 हार्दिक शुभकामनाएँ बासी हो गई
 
					उन्हें लोगों ने अपने मोबाइल सेडिलीट कर दिया
 अब अगले साल आएगी होली
 एहसास, सुदूर समंदर में
 चला गया... लगा
 चुप है शहर
 उजाड़ लग रहा है गाँव
 कल अखबार भी नहीं आएगा
 कि तुरंत याद दिला दे होली का
 अगले दिन आएगा
 तब तक दिलचस्पी कम हो जाएगी।
 बच्चे और जवान
 दिन भर होली खेलकर
 गाकर, बजाकर, नाचकर
 बेहद थककर
 सो गए
 होली बीत गई
 होली की तरह
 जिंदगी बीत जाएगी
 एक दिन
 
					न मन का फव्वारा रहेगान तन का बैलून
 मशीन बंद हो जाएगी
 पानी खत्म हो जाएगा।
 बचे हुए लोग
 बचे रह जाएँगे
 और कुछ लोग
 होली की तरह बीत जाएँगे
 चुप एक शब्द है
 हर त्योहार में
 जो उनके अवसान के
 समय आता है
 और कहता है
 मुझे देखो और पहचानो
 और बीत जाने की प्रतीक्षा करो।
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