| 
 अ+ अ-
     
         
         
         
         
        
         
        
         
            
         | 
        
        
        
      | 
            
      
          
 
 
          
      
 
	
		
			| 
					हत्या...पैरों के तलुवों को बेधती
 खून की ठंडी आहत खटखटाती है
 नन्हें से दिल को
 वहशी तरीके से
 मेरे अनदेखे-अनजान दोस्त की
 हत्या हो गई है
 
 मैंने कभी उसको देखा नहीं
 उसके बारे में लिखे हुए शब्द,
 यादें और किस्से
 मेरे विश्वास के दरवाजे से भीतर भी नहीं जा पाते
 
 तसव्वुर में फर्क है
 
 उबलती भट्ठियों सी
 बुलबुलों में लहकती हैं भावनाएँ
 रोंगटों में भरी जाती
 कड़ी सिहरन
 
 मैंने उसे एक बार सपने में देखा
 वहीं मिला भी पहली बार
 उसके हाथ माउथ-आर्गन पर कसे थे
 चक्करदार और लंबी धुन पर सवार
 गहरे टेढ़े रास्तों से गुजरता
 गड़रिया
 
 और मुझे दिखना था
 इसी लंबी धुन से रिसता खून
 उस आवाज की गंध जब मुझे छू रही होती है
 तब मेरी नींद में पैठता है लोहा
 भर जाता है मन पुतलियाँ भर आती हैं
 
 दोस्त लोहे में बदल रहा होता है
 हम काठ में
 चारों ओर लगी होती है
 भीषण भयकर आग
 |  
	       
 |