कीचड़ उछालने के मौकों से दरअसल चूकता नहीं है कोई भी मैं चूका, चूँकि मैं चुका नहीं था मुझे मिला नहीं था मौका क्योंकि मैं शामिल नहीं था किसी गिरोह में क्योंकि मेरा गिरोह नहीं था कोई जरूरी है मुड़ना, दाएँ अथवा बाएँ सीधे चलना ठीक नहीं।
हिंदी समय में राजकुमार कुंभज की रचनाएँ