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कविता संग्रह

अलंकार-दर्पण

धरीक्षण मिश्र

अनुक्रम 16 कारणमाला अलंकार पीछे     आगे

लक्षण :- जहाँ कारण से कार्य प्रकट हो जा
आ ऊहे कार्य आगे कारण बनत जा।
एह क्रम से जब कुछ कहल जाला त
उहाँ कारणमाला अलंकार मानल जाला।
 
जब कारण अपना कार्य से पहिले कहाय या जब कार्य अपना कारण
से पहिले कहाय दूनूँ दशा में ई कारण माला कहावेला।
केहू-केहू का मत से कार्य पहिले आ गइला से ई कार्य माला भी कहा
सकेला। केहू-केहू का मत से ई कार्य-कारण माला भी कहा सकेला॥
 
दोहा :- कारण आ कारज जहाँ एके साथ कहात।
कारणमाला तब उहाँ अलंकार बनि जात॥
 
उदाहरण :- सोझ टेड़ और गोल रेखा से अक्षर बने
अक्षर से बनि जात शब्‍दन के खान बा।
शब्‍दन से वाक्‍य बने वाक्‍यन से पन्‍ना भरे
पन्‍ना ले लेत बढि़ पुस्‍तक के अथान बा।
पुस्‍तक पढि़-पढि़ लोग होत विद्वान बाटे
बढ़ावत विद्वान लोग आगे विद्वान बा।
प्रकृति के रहस्‍य नित्‍य नया नया खोजे में
बढि़ के विज्ञाने के जियादे योगदान बा॥
* * * *
छल प्रपंच दे वोट , वोट देत कुरुसी बड़ी।
कुरुसी बरिसे नोट , नोट देत सुविधा सजी॥
रामकृपा ते परम पद , कहत पुराने लोय।
रामकृपा है भक्ति ते , भक्ति भाग्‍य ते होय॥
अन्‍न मूल घर घनन को , मूल यज्ञ अभिराम।
ता को धन धन को धरम , धरम मूल हरिनाम॥
 
चौपई :- कुर्सी खातिर उमइल चाव। लागल चले दाव पर दाव॥
आपुस में आइल टकराव। आपुस में आइल बिखराव॥
सोपा संसोपा परसोपा। ललका और उजरका टोपा॥
आगे और बढ़ल बिखरौवल। जाति चिन्‍हौवलदल बदलौवल॥
ग्रह सब आपन उच्‍च स्‍थान। देखि देखि बइठल पहिचान॥
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देशभक्‍त नेता लोग आपन सर्वस्‍व दे के
देश के स्‍वतंत्र सैंतालिस में बना गइल।
ओही स्‍वतंत्रता के राखे के सुरक्षित सदा
भारतीय संविधान एगो सिरिजा गइल॥
संविधान द्वारा अधिकार या बराबरी के
नेता लोग कुर्सी हथियावे के लोभा गइल।
आँखि मूनि मूनि लोग कुर्सी बदे धावल त
राह में चुनाव के बैतरनी भेंटा गइल॥
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बोललि बैतरनी कि यदि पार गइल जरूरी बा
त पूजा इहाँ पहिले हमार भइल जरुरी बा।
पूजा के विधान बोलल पूजा शानदार चाहीं।
नोट के नाव और लाठी के पतवार चाहीं।
नोट बोलल हमके छूवे वाला हा‍थ बरियार चाहीं।
दस्‍यु दल के केहू अनुभवी और नामी सरदार चाहीं।
तब ब्रह्मा जी सोचले अब फूलन के अवतार चाहीं।
 


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