लिये महज़र[1] में हर इक बात का रंग
जो चेहरा दिन तो ज़ुल्फ़ें रात का रंग
लिये रुख़सार पर रंगे ख़िजालत[2]
तकल्लुम में लिये रंगे शरारत
लिये दो लब पे रंगों की कहानी
गुलाबी सुर्ख़ो ज़र्दो ज़ा,फ़रानी
लिये हाथों में रंगे दस्तगीरी[3]
भरे दिल में शऊरे दिलपज़ीरी[4]
लिये दो चश्म जैसे चश्मा ए रंग[5]
न रह जाये कोई ता[6] तश्ना ए रंग[7]
लिये बातें मिसाले रंगे दुनिया
भरे ख़ामोशियों में रंगे उक़बा[8]
सरापा बन के रंगे आशनाई
जो तुम आई तो जैसे होली आई