hindisamay head


अ+ अ-

कविता

गजल

डा. बलराम शुक्ल

अनुक्रम सबा के पाँव पीछे     आगे

जैसे रुकते नहीं सबा के पाँव

ऐसे उस मेरी दिलरुबा के पाँव

मिल गये इसको उस अदा के पाँव

हैं तवाना बहुत हिना के पाँव


>>पीछे>> >>आगे>>