आशिक़ हुए, असीर[1] हुए, मुब्तिला[2] हुए
देखो तुम्हारे इश्क़ में, हम क्या थे क्या हुए
फ़रहादे कोहकन[3] हो कि मजनूँ फ़िगारतन[4]
हम आशिक़ी में सबसे बहुत पेशपा[5] हुए
खींचे है ताबे इश्क़ तो रोके है उसको शर्म
इक मुल्के हुस्ने नाज़ पे दो पेशवा[6] हुए
ईफ़ा ए अह्दे चर्ख़[7] तग़य्युर[8] है इसलिये
जितने भी बे वफ़ा हुए सब बा वफ़ा हुए
मारे थे जितने पहले रक़ीबाने तेग़ज़न[9]
सब इस जनम में ले निगहे सुर्मासा[10] हुए
[3]
पहाड़ काटने वाला फ़रहाद
[7]
भाग्यचक्र की शर्तें मानना