तीरों से नज़र देखे जादू से असर देखे
थी जान पे बन आई उस ओर मगर देखे
उम्मीदें दो आलम की अटकी हैं दो आँखों पर
जो कोई उधर देखे चाहे वो इधर देखे
अल्सुब्ह उन आँखों में देखे जो बसा सुर्मा
वो शाम तलक अपना उजड़ा हुआ घर देखे
मारा था नज़र दिल पर जो जाँ को उड़ा लेकर
उनकी ग़लत-अन्दाज़ी का कोई हुनर देखे
वो चश्मे ज़नान दीगर थे नरगिसो नीलोफर[1]
हमने तो इन आँखों में बस तीरो तबर[2] देखे