गुलों की बात चले गुल्सिताँ की बात चले
तेरा ही ज़िक्र चले जब जहाँ की बात चले
हरीमे शौक़[1] में नुत्क़े नज़र[2] के हैं चर्चे
कभी तो कुछ तो दिले बेज़बाँ की बात चले
कलामे वा,ज़[3] से क्या काम बेनियाज़ों[4] को
यहाँ की बात चले या वहाँ की बात चले
तमाम तर्ज़े तकल्लुम[5] तुम्हारी दीद[6] के बाद
कहाँ का ज़िक्र चले फिर कहाँ की बात चले
रखा भी क्या है कहो जानो दिल की बातों में
हदीसे दिलबरो[7] जानाने जाँ की बात चले