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कविता

गजल

डा. बलराम शुक्ल

अनुक्रम तर्ज़े तकल्लुम पीछे     आगे

गुलों की बात चले गुल्सिताँ की बात चले

तेरा ही ज़िक्र चले जब जहाँ की बात चले

हरीमे शौक़[1] में नुत्क़े नज़र[2] के हैं चर्चे

कभी तो कुछ तो दिले बेज़बाँ की बात चले

कलामे वा,ज़[3] से क्या काम बेनियाज़ों[4] को

यहाँ की बात चले या वहाँ की बात चले

तमाम तर्ज़े तकल्लुम[5] तुम्हारी दीद[6] के बाद

कहाँ का ज़िक्र चले फिर कहाँ की बात चले

रखा भी क्या है कहो जानो दिल की बातों में

हदीसे दिलबरो[7] जानाने जाँ की बात चले



[1] इश्क़ की महफ़िल

[2] आँखों की वाचालता

[3] उपदेश की बातें

[4] इच्छारहित

[5] सम्भाषण

[6] दर्शन

[7] दिलबर की बातें


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