वो सनम हो या कि कोई ख़ुदा वो वफ़ा करे कि करे जफ़ा
ये है तर्ज़ो रस्मो रहे वफ़ा जिसे दिल दिया उसे दिल दिया
तेरा शुक्र वाइज़े मोहतरम[1] तेरे तीरे तंज़[2] के हैं करम
तहे ताक़े क़ल्ब[3] निहाँ[4] सनम ब-हज़ार रंग निखर गया
हुए हम जो आशिक़े गुलबदन हुआ चेहरा अपना चमन चमन
हुए मिस्ले बुलबुले खुशलहन[5] हुआ हर नफ़स नफ़से सबा[6]
न रहा वक़ारे बराहमन[7] न रहे शयूखे सनम-शिकन[8]
ज़हे वक़्त[9]! दोनों का बाँकपन रहे ग़र्बे रास्त[10] में खो
गया
[5]
मधुर स्वर वाली बुलबुल की तरह
[6]
प्रातःकालीन समीर की साँस
[7]
ब्राह्मणों की प्रतिष्ठा
[8]
मूर्तियाँ तोड़ने वाले शैख़
[10]
पश्चिम का सीधा रास्ता