एक दिन सारा जाना-पहचाना बर्फ-सा थिर होगा याद में। बर्फ-सी थिर होगी रहस्य घिरी आकृति आँखें भर आएँगी अवसाद में। आएँगे, मँडराते प्रेत सब माँगेंगे अस्थि, रक्त, मांस सब दान में। जानती हैं औरतें बारी यह आयु की अपनी।
हिंदी समय में कमलेश की रचनाएँ