कविता
कुतुब मीनार की ऊँचाई उदय प्रकाश
कुतबुद्दीन ऐबक को अब ऊपर से नीचे देख पाने के लिए चश्मे की जरूरत पड़ती इतनी ऊँचाई से गिर कर चश्मा टूट जाता।
हिंदी समय में उदय प्रकाश की रचनाएँ
अनुवाद
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