सोनू की छुटकी के लिए
दीया बिस्तर के नीचे,
दरवाजों के पीछे,
अलमारी के भीतर भी खोजती है
ऊपर आसमान में
देखती है
वह पुकारती है
दीया!
दीया कहाँ है, कहाँ है
वह पूछती है
वह आईने में देखती है
नहीं, दीया नहीं है
उसकी खाली आँखें
सड़क पर जाती हैं
वह पुकारती है
दीया!
सामने वाले घर में
बर्तन मँज गए,
झाड़ू और पोछा हो गया
उसकी माँ लौट आई
दीया वापस छलाँग मारती है
उसके चेहरे में।