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कविता

जान पड़ता है, मैं मुर्दों की वारिस हूँ


माँ को दफनाकर जब मैं लौट रही थी
मेरा डग भरना बालिग हो चुका था
मैं उसे एक 'रहस्यमय' जगह छोड़ आई थी
जहाँ अब वह अपनी मुर्गियाँ पालेगी

मुझे अपने घर को पड़ोसियों की ताकझाँक से बचाना था
मुझे आदत पड़ गई दहलीज पर बैठकर रेडियो सुनने की
मैं धारावाहिक की उस अभिनेत्री की
प्रतीक्षा करती थी जिसे हर कोई सताता था

और जिस दिन मेरी सहेली को अपने शरीर की जाँच कराने के लिए
दूसरे महाद्वीप का वीजा मिल गया -
वह मेरी टेबल पर अपनी सिगरेट छोड़ जाना भूल गई -
उस दिन मुझे विश्वास हो गया कि सिगरेट निहायत जरूरी चीज है

तब से मेरे पास एक निजी दराज जरूर होता है
और एक गुप्त पुरुष भी
जो कि दरअसल उसका प्रेमी था

और जब,
डॉक्टर नाकाम रहे एक ऐसी किडनी खोज पाने में
ओसामा का शरीर जिसे नकार न सके -
ओसामा
जिसकी किडनियाँ इसलिए घिस गई थीं कि
वह अपने भीतर की सारी कड़वाहटों को दबा देता था
ताकि हमेशा मीठा दिखता रहे -

अब उसकी थम्स अप की भंगिमा का प्रयोग करना
शायद मैं शुरू कर दूँ
ताकि बात करते समय हमेशा दृढ़ दिखूँ

जान पड़ता है, मैं मुर्दों की वारिस हूँ
जिन सबसे मैं प्रेम करती हूँ, उनकी मौत के बाद
एक रोज
मैं एक कैफे में अकेले बैठूँगी
मुझे कहीं से नहीं लगेगा कि मैंने कुछ खो दिया है
क्योंकि मेरी देह एक विशाल टोकरी है
जहाँ ये सारे लोग अपनी-अपनी चीजें गिरा जाते हैं

वे चीजें
जिनमें उनके होने के निशान होते हैं

 


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