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कविता

पहचान

आभा बोधिसत्व


आदमी खुद को नहीं
पहचान पाता अपना किया भी
यह काम जानवरों का है उन्हें
पहचानना
तभी खोजी कुत्ते लगाए जाते
हैं मनुष्य की पहचान के लिए
घरों में और वक्त आने पर सरकार द्वारा
कठिन है मनुष्य की पहचान मनुष्य द्वारा
नामुमकिन...

 


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