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कविता संग्रह

कबीर ग्रंथावली

कबीर

संपादन - श्याम सुंदर दास

अनुक्रम साखी - हैरान कौ अंग पीछे     आगे

 

पंडित सेती कहि रहे, कह्या न मानै कोइ।
ओ अगाध एका कहै, भारी अचिरज होइ॥1॥

बसे अपंडी पंड मैं, ता गति लषै न कोइ।
कहै कबीरा संत हौ, बड़ा अचम्भा मोहि॥2॥179॥


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