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कविता संग्रह

कबीर ग्रंथावली

कबीर

संपादन - श्याम सुंदर दास

अनुक्रम साखी - सहज कौ अंग पीछे     आगे

सहज सहज सबकौ कहै, सहज न चीन्है कोइ।
जिन्ह सहजै विषिया तजी, सहज कही जै सोइ॥1॥

सहज सहज सबको कहै, सहज न चीन्हें कोइ।
पाँचू राखै परसती, सहज कही जै सोइ॥2॥

सहजै सहजै सब गए, सुत बित कांमणि कांम।
एकमेक ह्नै मिलि रह्या, दास, कबीरा रांम॥3॥

सहज सहज सबको कहै, सहज न चीन्हैं कोइ।
जिन्ह सहजै हरिजी मिलै, सहज कहीजै सोइ॥4॥408॥


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