गहन पहेली,
ओ लता - चमेली!
अपने
फूलों में / अंगों में
इतनी मोहक सुगंध
अरे,
कहाँ से भर लाईं!
ओ श्वेता!
ओ शुभ्रा!
कोमल सुकुमार सहेली!
इतना आकर्षक मनहर सौंदर्य
कहाँ से हर लाईं!
धर लाईं!
सुवास यह
बाहर की, अंतर की
तन की, आत्मा की
जब-जब
करता हूँ अनुभूत -
भूल जाता हूँ
सांसारिकता,
अपना अता-पता!
कुछ क्षण को इस दुनिया में
खो जाता हूँ,
तुमको एकनिष्ठ
अर्पित हो जाता हूँ!
ओ सुवासिका!
ओ अलबेली!
ओ री, लता - चमेली!