hindisamay head


अ+ अ-

कविता

दूरवर्ती से


शेष जीवन
जी सकूँ सुख से
तुम्हारी याद
          काफी है!

कभी
कम हो नहीं
एहसास जीवन में
तुम्हारा
यह बिछोह-विषाद
       काफी है!

तुम्हारी भावनाओं की
धरोहर को
सहेजा आज-तक
          मन में,
अमरता के लिए
केवल उन्हीं का
सरस गीतों में
सहज अनुवाद
         काफी है!


End Text   End Text    End Text