कविता
संवेदना महेन्द्र भटनागर
काश, आँसुओं से मुँह धोया होता, बीज प्रेम का मन में बोया होता, दुर्भाग्यग्रस्त मानवता के हित में अपना सुख, अपना धन खोया होता!
हिंदी समय में महेन्द्र भटनागर की रचनाएँ